Book Title: Sukhi Hone ka Upay Part 5 Author(s): Nemichand Patni Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 4
________________ विषय-सूची ) विषय विषय-सूची दो शब्द अपनी बात विषय परिचय विषय प्रवेश पात्रता द्रव्य और पर्याय में अभिन्नता विषय-सूची द्रव्य में पर्याय की स्थिति द्रव्य और पर्याय का क्षेत्र एक होते हुए भी भाव भिन्नता तो विद्यमान है भाव भिन्नता भी मात्र अशुद्ध जीव को ही होती है भाव भिन्नता समझने का लाभ क्या ? भाव भिन्नता का समझ ही भेद ज्ञान का आधार है भिन्नता समझने का मूल आधार कौन अपने ही आत्मा में विद्यमान दोनों स्वभावों का अध्ययन जिनका अस्तित्व ही अभिन्न है, उनको भिन्न कैसे किया जा सकेगा अभिन्न द्रव्य - पर्याय को भिन्न करना अशक्य, लेकिन भिन्न समझना शक्य है नयज्ञान की मोक्षमार्ग में उपयोगिता भिन्नता समझने के लिए नयज्ञान अत्यन्त आवश्यक है Jain Education International समझने के लिए नयज्ञान का प्रयोग क्यों ? नयज्ञान से आत्मा को कैसे समझा जा सकेगा ? निश्चय - व्यवहार नय का प्रयोग निश्चय - व्यवहार की उपयोगिता निश्चय - व्यवहार नयों की परिभाषाएँ आत्मोपलब्धि में नयज्ञान की उपयोगिता प्रमाण ज्ञान For Private & Personal Use Only पृष्ठ mov ११ ३६ ४१ ४४ ४६ ४७ ४८ ५० ५१ ५२ ५४ ५५ ५६ ६० ६४ ६५ ६९ ७१ ७९ ८१ ( ३ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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