Book Title: SubhashitSangraha Samucchay
Author(s): Nilanjana Shah
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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सुभाषितरत्नकोश
श्लोकानुक्रमणिका
११७ १५०
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९६
१८५
१४३ १४८
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१२८
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अंसाकृष्टदुकूलया अकलितपरस्वरूप अखर्वपर्वगर्तासु अङ्गनानामिवाङ्गा अङ्गष्ठाग्रिमवक्रि अच्छिन्नमेखल अजानन् दाहात्म्यं अथेदं रक्षोभिः अद्यापि देहि मम अधोमुखमसाधू अनुद्धष्टः शब्दैः अनुहरतः खलसुजना अन्त्रप्रोतकपाल अन्त्रैः कल्पितमण्डल अन्योन्योपमितं अपेक्षन्ते न च अपारे काव्यसंसारे
१५९ अभ्युद्धता वसु २९
अमी हेलोन्मेष ४९
अमुं कालक्षेप
अम्भोजाक्ष्याः पुरतः १७७
अलमतिचपल
अवतु वः सवितु १६७ अविरलगवल
असंख्यैरपि नात्मी १२२ असावहं लोहमयी २४ आः कष्टं किल
आक्षीरधारैकभुजा २३ आत्ते सीमन्तचिह्ने १२५ आत्मज्ञानविवेक १२४
आत्मनाशाय नो आदाय मांसम
आयुर्नीरतरङ्ग ३६ आरोहत्यवरोह
१५५
४२
१२१
११४
१३०
१६६
२६ १०५ १६८ १७४
२१
१५९. शा.प. ३६९४ - स.क. ११२१-सु.को. ३७० - सू.मु. ७७/९, २९. सु.को.१२८३, ४९. शा. प. १०७५ - सू.मु. १०३/९४ सू.र.को. ५९९, १७७. स.क. २००१ - सु.को. ११५७ - सू.मु. ९६/१४, ४. स.क. १३७, १६७. वैराग्य. २१ - शा.प. ४१५६ - सू.मु. १३१/७३. ४२. स.क. २१६० - सु.को. १७०५ - सू.मु. ४/३६, २३. शा.प. २३९ - सू.मु. ६/११ सु.को. १२१८, १२५. सू.मु. ९४/३, १२४. शा.प. ४०७६ - सु.को. १५३२ - सू.मु. ९४/४, १३०. सु.को. ४५३. २१. सु.को. १२३०, ११७. स.क. १६३६ - सु.को. १७५ - सू.मु. ९७/५, १५०. सू.मु. ५९/३६, ९६. शा.प. ७८४ - स.क. १९४० - सु.को. १०२९ - सू.मु. १३/१३, १४३. शा.प. ३६१५- सू.मु. ७१/१३, १४८. शा.प. ५६६ - सु. को. ४७७, १५. सू.मु. २/५९, १५५. सु.को. ७२४, १२१. सू.र.को. ५४२२, ११४. शा.प. १२७६ - सू.मु. ९७/७०, १६६. सु.को.१६०४ - सू.मु. १२६/१७, २६. सू.मु. ११०/५, १०५. शा.प. ४०१५ - स.को. १९१५ - सु.व. ६६० - सू.मु. ९०/१, १६८. सू.मु. १३१/ ४५, १७४. १३१.५० सू. मु. १२६/८.
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