Book Title: Sramana 1999 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 183
________________ १७६ Com 3 ) नवीन प्रकाशन पिछले दो वर्षों से संस्थान में कोई निदेशक न होने से प्रकाशन की गति कुछ मन्द हो गयी थी जो निदेशक महोदय के आने से पुन: गतिमान हो गयी। अब तक निम्नलिखित ग्रन्थ मुद्रित हो चुके हैं१. तीर्थङ्कर महावीर और उनके दशधर्म- प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' २. जिनवाणी के मोती - डॉ० दुलीचन्द जैन ३. अष्टकप्रकरण (संस्कृत) – सम्पा० डॉ० अशोक कुमार सिंह ४. अनेकान्तवाद (१९९३ ई० में अहमदाबाद में आयोजित अनेकान्तवाद सङ्गोष्ठी में पठित निबन्धों का संग्रह), सम्पा०-प्रो० सागरमल जैन एवं डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय अनेकान्तवाद, स्याद्वाद और सप्तभंगी (सिद्धान्त और व्यवहार) प्रो० सागरमल जैन ६. वसुनन्दि श्रावकाचार - सम्पा०-प्रो० भागचन्द्र जैन एवं व्याख्याकार मुनिश्री सुनील सागर श्रावकाचार और सामाजिक सन्तुलन-लेखक-प्रो० भागचन्द्र जैन ‘भास्कर' वर्तमान में निम्नलिखित ग्रन्थ मुद्रण की प्रक्रिया में हैंविंशतिविंशिका, सम्पा०- प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' एवं डॉ० कमलेश कुमार जैन २. अलंकारदर्पण (प्राकृत) – सम्पा० +अनु०- प्रो० भागचन्द्र जैन ‘भास्कर' एवं प्रो० सुरेशचन्द्र पाण्डेय ३. समाधिमरण : एक अवधारणा - डॉ० रज्जन कुमार जैन एवं बौद्ध योग का तुलनात्मक अध्ययन - डॉ० सुधा जैन जैन एवं हिन्दू स्रोतों के आधार पर द्रौपदी कथानक - डॉ० शीला सिंह ६. Jainism & Buddhism - Prof. Bhag Chandra Jain ७. Jain Bible - Prof. Bhag Chandra Jain Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202