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नवीन प्रकाशन पिछले दो वर्षों से संस्थान में कोई निदेशक न होने से प्रकाशन की गति कुछ मन्द हो गयी थी जो निदेशक महोदय के आने से पुन: गतिमान हो गयी। अब तक निम्नलिखित ग्रन्थ मुद्रित हो चुके हैं१. तीर्थङ्कर महावीर और उनके दशधर्म- प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' २. जिनवाणी के मोती - डॉ० दुलीचन्द जैन ३. अष्टकप्रकरण (संस्कृत) – सम्पा० डॉ० अशोक कुमार सिंह ४. अनेकान्तवाद (१९९३ ई० में अहमदाबाद में आयोजित अनेकान्तवाद सङ्गोष्ठी
में पठित निबन्धों का संग्रह), सम्पा०-प्रो० सागरमल जैन एवं डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय अनेकान्तवाद, स्याद्वाद और सप्तभंगी (सिद्धान्त और व्यवहार)
प्रो० सागरमल जैन ६. वसुनन्दि श्रावकाचार - सम्पा०-प्रो० भागचन्द्र जैन एवं व्याख्याकार
मुनिश्री सुनील सागर श्रावकाचार और सामाजिक सन्तुलन-लेखक-प्रो० भागचन्द्र जैन ‘भास्कर' वर्तमान में निम्नलिखित ग्रन्थ मुद्रण की प्रक्रिया में हैंविंशतिविंशिका, सम्पा०- प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' एवं डॉ० कमलेश
कुमार जैन २. अलंकारदर्पण (प्राकृत) – सम्पा० +अनु०- प्रो० भागचन्द्र जैन ‘भास्कर'
एवं प्रो० सुरेशचन्द्र पाण्डेय ३. समाधिमरण : एक अवधारणा - डॉ० रज्जन कुमार
जैन एवं बौद्ध योग का तुलनात्मक अध्ययन - डॉ० सुधा जैन
जैन एवं हिन्दू स्रोतों के आधार पर द्रौपदी कथानक - डॉ० शीला सिंह ६. Jainism & Buddhism - Prof. Bhag Chandra Jain ७. Jain Bible - Prof. Bhag Chandra Jain
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