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________________ १७५ Sunaulod ASTHAN R - अभिनन्दन का उत्तर देते हुए पण्डित अमृतलाल जी शास्त्री, साथ में बैठे हुए डॉ० वसन्तराजन्, डॉ० उदयचन्द जैन, डॉ० भागचन्द्र जैन आदि इसके पूर्व वाराणसी की नवोदित संस्था ज्ञानप्रवाह भी पार्श्वनाथ विद्यापीठ से जुड़ा। ज्ञानप्रवाह द्वारा आयोजित २१ दिवसीय 'प्राचीन भारतीय लिपि शिक्षण शिविर' दिनांक २४ नवम्बर से प्रारम्भ हुआ जो १२ दिसम्बर तक चला। इसमें संस्थान के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन, वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोक कुमार सिंह, डॉ० शिवप्रसाद एवं शोधछात्रों— श्री अतुल कुमार प्रसाद सिंह, सुश्री मधुलिका सिंह, सुश्री सत्यभामा सिंह और गीता पाण्डेय ने भाग लिया। मैसूर, चेन्नई आदि स्थानों से पधारे शिविरार्थियों के आवास-निवास आदि की व्यवस्था पार्श्वनाथ विद्यापीठ में ही रही। इसी माह वाराणसी में १६वें अन्तर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन की चहल-पहल रही। आचार्यकुल के सचिव श्री शरद कुमार साधक इसके संयोजकों में एक थे और नगर की विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं का भी उन्हें भरपूर सहयोग रहा। इसी क्रम में पार्श्वनाथ विद्यापीठ भी पीछे नहीं रहा। दिनांक २१ दिसम्बर को सायंकाल सम्मेलन के प्रतिनिधियों के भेंट का भी कार्यक्रम संस्थान में रखा गया। संस्थान के निदेशक डॉ० जैन का एक शोधपत्र The Story of Ram in Jaina Tradition भी पढ़ा गया जिस पर अनेक विद्वानों ने गम्भीर जिज्ञासायें प्रस्तुत की। इसी माह संस्थान के निदेशक प्रो० जैन इन्दौर और अहमदाबाद भी गये जहाँ उन्होंने पार्श्वनाथ विद्यापीठ से अन्य जैन संस्थानों को सक्रिय रूप से जोड़ने का प्रयास किया। Naveen Self Devlope Institute अहमदाबाद ने उससे सम्बन्ध स्थापित किया और इन्दौर में पार्श्वनाथ विद्यापीठ के स्वतन्त्र परिसर के रूप में गतिविधियों के संचालन की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525039
Book TitleSramana 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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