Book Title: Sramana 1999 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 200
________________ १९३ वार्षिक शुल्क दिसम्बर में समाप्त हो रहा है अत: जनवरी माह में श्रमण का वार्षिक शल्क भेजने की कृपा करें और अलग से पत्र आने की प्रतीक्षा न करें। वार्षिक शल्क आने पर ही श्रमण का अगला अंक उन्हें प्रेषित किया जा सकेगा। सुधी पाठकों से भी निवेदन है कि वे श्रमण के ग्राहक बनकर जैन साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपना सहयोग दें। श्रमण का वार्षिक शुल्क १००/रुपये और आजीवन सदस्यता शुल्क ५००/- रुपये है जो उसके लागत के आधे से भी कम है। लेखकों से निवेदन है कि वे अपने उच्चस्तरीय जैन शोध निबन्ध श्रमण में प्रकाशनाथ भेजे। लेख हिन्दी, गुजराती और अंग्रेजी में हो सकते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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