Book Title: Sramana 1992 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 61
________________ शिवप्रसाद 59 श्री मोहनलाल दलीचन्द देसाई ने पूर्णिमागच्छ और उसकी कुछ शाखाओं की पट्टावली दी है। इनमें पूर्णिमागच्छ की प्रधानशाखा अपरनाम ढंढेरियाशाखा की भी एक पट्टावली है', जिसमें उल्लिखित इस शाखा की गुरु-परम्परा इस प्रकार है : चन्द्रप्रभसूरि । पूर्णिमागच्छ के प्रवर्तक] धर्मघोषसूरि समुद्रघोषसूरि सुरप्रभसूरि [ पूर्णिमापक्षीय प्रधानशाखा के प्रवर्तक] जिनेश्वरसूरि भद्रप्रभसूरि पुरुषोत्तमसूरि देवतिलकसूरि रत्नप्रभसूरि तिलकप्रभसूरि ललितप्रभसूरि हरिप्रभसूरि जयसिंहसूरि जयप्रभसूरि भुवनप्रभसूरि कमलप्रभसूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82