Book Title: Sramana 1992 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 59
________________ प्रशस्तियों के आधार पर निर्मित पूर्णिमागच्छ । प्रधानशाखा ! के मुनिजनों का वंशवृक्ष Jain Education International जयसिंहसूरि जयप्रभसूरि । वि.सं. 1520-15513 प्रशस्ति यशस्तिलकसरि [वि.सं.1527-1529 ] प्रशस्ति भुवनप्रभसूरि जयमेरुसरि [वि.सं. 1565-1566 ] प्रशस्ति [वि.सं. 1551] प्रशस्ति For Private & Personal Use Only कमलप्रभसूरि मुनिराजसुन्दरसूरि [वि.सं. 1566 ] प्रशस्ति मुनिरत्नमेरुसूरि [वि.सं. 1574 में आदिनाथमहाकाव्य के प्रतिलिपिकार] कमलसंयमसूरि [वि.सं.1553 में इनके सानिध्य में पाक्षिकसूत्रअवचूरि की प्रतिलिपि की गयी। मुनिवीरकलश [वि.सं.1555 में स्नात्रपंचाशिका के प्रतिलिपिकार] www.jainelibrary.org राजमाणिक्यसरि पुण्यप्रभसूरि [वि. सं. 1590-16111 दाताप्रशस्ति [वि.सं. 1574 में वैरकुमारकथा के प्रतिलिपिकर्ता विद्याप्रभसूरि । वि.सं. 1624] प्रतिलेखनप्रशस्ति

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