Book Title: Sramana 1992 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 66
________________ ललितप्रभसूरि [ प्रथम] Jain Education International हरिप्रभसूरि जयसिंहसूरि जयप्रभसूरि [वि.सं.1512-1551 ] प्रशस्ति एवं प्रतिमालेख जयभद्रसूरि [वि.सं.1525-34] प्रतिमालेख For Private & Personal Use Only यशस्तिलकसरि [वि.सं. 1527-29] प्रशस्ति में उल्लिखित भुवनप्रभसूरि [वि.सं.1551-1572] प्रशस्ति एवं प्रतिमालेख जयमेरुसूरि [वि.सं.1551] प्रशस्ति कमलप्रभसूरि मुनिराजसुन्दरसूरि [वि.सं. 1582] प्रतिमालेख [वि.सं.1566 ] प्रशस्ति मुनिरत्नमेरुसूरि [वि.सं.1574 में आदिनाथमहाकाव्य के प्रतिलिपिकार] कमलसंयमसूरि मुनिवीरकलश [वि.सं.1553 में इनके वि.सं.1555 में स्नात्रपंचाशिका] सानिध्य में पाक्षिकसूत्रअवचूरि के रचनाकार ] को प्रतिलिपि की गयी www.jainelibrary.org माणिक्यसूरि पुण्यप्रभसूरि । वि.सं. 1590-1611] प्रशस्ति एवं प्रतिमालेख

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