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[ ३७ ] अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क प्रक्षालन (२५)। भोजन के नियम (२६-२८)। सूतक स्नान विधि (३२-३३)। शुद्धि विधान (३८)। सूतक दिन निर्णय (४१-४२)। सूतक के विषय में वर्णन (४३४६)। कन्या ऋतुमती होने पर शुद्धि विधान (४७-७०)। जन्म के दिन ग्रहण होने पर पूजा विधि (७१-७५ )। स्वर्गसुख प्राप्ति फलवर्णनम्
३५१ दान से स्वर्ग गति की प्राप्ति (१-५)।
__ अत्रिसंहिता के प्रधान विषय धर्मशास्त्रोपदेश वर्णनम्
. ३५२ संहिता श्रवण माहात्म्य (१-७)। गुरु के सत्कार न करने से कुक्कुरयोनि प्राप्ति (१०)। शास अपमान से पशुयोनि (११)। स्वकर्तव्यनिष्ठ की प्रशंसा (१२)। प्रत्येक वर्ण के कर्म (१३-२०)। विद्वानों के कार्य में मूखों की नियुक्ति करने पर क्षति (२३) । विद्वत्पूजा वर्णन (२७)। राजा के पञ्च यज्ञ-दुष्ट को दण्ड, सजन पूजा, न्याय से कोष वृद्धि, निष्पक्ष न्याय, राष्ट्र वृद्धि (२८)। शौच लक्षण (३१-३५)। ब्राह्मण कतव्य (३६-३६)। दान माहात्म्य (४०-४१)। इष्टापूर्ति के लक्षण (४३-४४)।