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अध्याय
४२१
[ ४२ ] प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क ५ राजधर्म विधाने दण्डवर्णनम्
४१३ महापातक और उनके दण्ड का वर्णन, पापियों दण्ड का वर्णन और दूसरी योनि का वर्णन, विवाद का वर्णन और कूट साक्षियों का वर्णन, तीन पुस्त तक भोगने पर जगह का वर्णन, चोर, परस्त्रीगामी, लम्पट जिसके राज्य में न हों उस
राजा का इन्द्रत्व वर्णन। ६ ऋणदान वर्णनम्
ऋणी धनी का व्यवहार और उसकी व्यवस्था का वर्णन, स्वर्ण की द्विगुण की वृद्धि, अन्न की त्रिगुण की वृद्धि इनके निर्णय शास्त्र साक्षी। सम्पत्ति लेनेवाले को मृणदान
आवश्यक। ७ सलेखसाक्षिवर्णनम्
४२३ लिखित का वर्णन, राज साक्षी, गवाही, असाक्षिक वर्णन,
संदेहास्पद लेख का निर्णय । ८ वर्जितसाक्षिलक्षणवर्णनम्
४२४ जो साक्षी में निषेध हैं उनका वर्णन, कूट साक्षियों का वर्णन, शुद्ध साक्षियों के कहने पर निर्णय करना। जिस विवाद में कूट साक्षी होना निश्चित हो जाय वह विवाद समाप्त कर देना।