________________
[ ४५ ] अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क मूढोत्पन्न, सहोढ़, दत्तक, क्रीत, स्वयं उपागत, अपविद्ध, परित्यक्त ये बारह प्रकार के पुत्र बतलाए गये हैं। इस अध्याय के अन्तिम श्लोकों में बतलाया है कि पुन्नाम नरक से जो पिता को बचाता है उसे पुत्र कहते हैं। १६ जातिवशात्पुत्रभेदवणनम्
४३४ समान वर्णों से जो पुत्र होते हैं वही पुत्र कहे जाते हैं। अब अनुलोम जो माता के वर्ण से प्रतिलोम ये अनार्य लड़के कहे
जाते हैं। उनकी संज्ञा और संकर जाति का विवरण । १७ पुत्राभावे सम्पत्ति विभाग ( ग्राह्य ) वर्णनम् ४३४ विभाग–अगर पिता विभाग करे तो अपनी इच्छा से कर सकता है। सभी उपार्जित का विभाग करे और पति के
विभाग में स्त्री का पूर्ण अधिकार है। ब्राह्मणस्य चातुवर्णेषु जातपुत्राणां दायविभाग वर्णनम् ४३६
ब्राह्मण का चारो वर्षों में विवाह होता है और जो बटवारेका
कहा गया है वह विभाग बतलाया गया है। १६ शवस्पर्शी ( दाहसंस्कारार्थ ) पुत्र वर्णनम् ४३८
ब्राह्मण के अनिदाह का निर्णय किया है।