Book Title: Six Philosophical Buddhist Tracts
Author(s): Asiatic Society of Bengal
Publisher: Asiatic Society of Bengal

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ अपोहरिद रस्य ) अमाध्यवसायमतदूषपरावृत्ती बायोपडिभिनता, वयान प्रतिभास विकारश्य / तत्र बाहोऽयोऽध्यवसायादेव शब्दवाच्यो व्यवस्थाप्यते | न स्वलक्षणपरिस्फूर्त्या प्रत्यअवद् देशकालावस्था नियत प्रध्यक्लस्वलक्षणासपुर -- पात। यच्छास्त्रम् / / "शब्देनाऽध्यापृता स्य बुद्धावप्रतिभासनात् / अर्थस्य दृष्टाविति, --- / इन्द्रियाब्दस्वभावोपायभेदात् एकस्य प्रतिमास भेद इति चेती अत्राध्यक्तमनस्य) [7] जातो नामाश्रयोऽन्यान्य: चेतसान्तस्य वस्त्न / एकस्यैव कुतो रूप भिन्नाकारावासि तत् / न हि स्पष्टास्पष्टे हे रूपे परस्परविरुद्ध एकस्य वस्तुनः स्तः, यत एकन्ट्रियबुद्धौ प्रतिभासेतान्येन विकल्प तथासति वस्तुन एव भेदप्राप्ते: ; न हि स्वरूपभेयायपरो बस्तभेदः। न च प्रतिभासदादपरम] स्वरूपभेदः, अन्यथा त्रैलोक्यमेकमेव बस्त् स्यात् / ---- दूरासन्न देशवर्तिनोः पुरुषयोः एकत्र शाखिनि स्पष्ट स्पष्टप्रतिभासभेदेऽपि न शातिभेद इति चेती 3 Balajir अर्थस्य ----------- ..

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 176