Book Title: Six Philosophical Buddhist Tracts
Author(s): Asiatic Society of Bengal
Publisher: Asiatic Society of Bengal

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Page 11
________________ न बमः प्रतिभासदो भिन्नतस्तनियतकालिन्त --- क्रिया एकविषयत्वामावनियत इति। ततो यत्रा भयादिसचियः प्रतिभासमेटः तत्र वस्तुभेया, धवत् / अन्यत्र पुनर्नियमनकविषयता परिहरतीत्येक प्रतिभासो भान्तः। एतेन यदाह वाचस्पतिः - न च हाय-प्रत्ययोर्वस्तु ------गोचरत्वे प्रतिभासनेक प्रत्ययाभेया कारणभेदन पारोच्यापारोश्यभेदोपपत्तेरिति / तन्नोपयोगि परासप्रत्ययस्य बस्तुगोचरत्वास नाता परोसतात्रय - स्तु कारणभेर इन्द्रियगोचरग्रहणविरहेणैव कृतार्थः। तिन्न शाब्दे प्रत्यये स्वलक्षणं परिस्फूरतिग किंच स्वलसणात्मनि वस्तुनि वाध्ये सर्वात्मना प्रतिपत्ते, [3] विधि-निषेधयोरयोगः। तस्य हि सदावऽस्तीति व्यर्थम् , नास्तीत्यसमर्थभ , असहावे नास्तीति -व्यर्पमस्तीत्यसमपम् / अस्ति चास्त्यादिपर प्रयोगः। तस्मात् शब्द प्रतिभासस्य बाह्याभावा भावसाधा-----रण्यं न तविषयतां समते। ---------------... यञ्च वानस्पतिमा जातिमाक्तिवाच्यता स्वनाचव प्रस्तुत्यानन्तरमेव न च शब्यापस्य जाते र्भावाभाव # B adds if after 3799a Pomenghuye

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