Book Title: Six Philosophical Buddhist Tracts
Author(s): Asiatic Society of Bengal
Publisher: Asiatic Society of Bengal
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________________ अपोहसिदिः 11. वित्तया न पत्तीतिरिति-किन-भिन्नाभिधानाधी नो धर्मान्तरस्य नीलाचलोचस्तरत्वादेरवबोधानदेतदसंगतम् / अरखण्डात्मनः स्वलक्षणस्य प्रत्य प्रति भासात् दृश्यस्य धर्म-धर्मिभेदस्य प्रत्यसप्रतिक्षिप्त त्वात् / अन्यथा सर्व सर्वत्र स्यादित्यतिपसा / / काल्पनिक भेया त्रयस्तधर्मधर्मिव्यवहारः इति पुसाधितं शास्त्र, भवत् वा पारमार्थिको धर्म धार्मिभदः .. तथापि . अनयोः समवायादेषितलादपकारलसव प्रत्यासत्तिरेषित व्या एवं च यपेन्द्रिय प्रत्यासत्या प्रत्यक्ष ण धर्मिप्रतिपत्तौ 'सकलतद्धर्मप्रतिपत्तिः। तथा शब्द लिझा धामपि वाच्यवाचकादिसम्बन्ध प्रतिबद्धाभ्यां धमिप्रतिपत्तौ निरवशेषतद्धर्मप्रतिपत्ति भवतः प्रत्यास तिमानस्याविशेषात् यच्च वाचस्पतिः, नचैकोपाधिना सत्वे विशिष्रे तस्मिन गृहीता उपाध्यन्त रविशिष्टतः / स्वभावो हि व्यस्य उपाधिभि 141] विशिष्यते। न तूपाधयो [ 117 वा विशेष्यत्वं वा तस्य स्वभाव' इतितदापवत एव / न हि. भयदादूपाध्यन्तरणहर्णयमासनितम् / भेदं पुरस्कृ- सत्वेन छार विशेष्यते / .: L Veems to be better.' मना/
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