Book Title: Six Philosophical Buddhist Tracts
Author(s): Asiatic Society of Bengal
Publisher: Asiatic Society of Bengal
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________________ न्या . 118 जम: / अन्तरिक्षपाश्चनाथाय / .. रत्नाकरशान्तिप्रणीतम -अन्त र्ध्या प्ति स मर्धनम् / - ॐ नमो बुद्धाय इह सत्त्वमर्थ क्रियाकारित्वमा, तदितरसत्त्वलणायोगात् / तच्च क्रमयोगपद्याभ्यां व्याप्त परस्परव्यवछेयलक्षणवादनयोः प्रकारान्तरेण करणासम्भवात् / क्रमयोगपो चाऽक्षणिकचे न स्तः, पूर्वापरकालयोरबिचलित स्वभावस्य कर्तृत्वाकर्तृत्चे विरुखधर्मयायोगा।----.-.... / तत्र न तावत् कमः, क्रमाणामेककं प्रति पूर्वा परकालयोः कर्तृत्वाकर्तृत्वापत्तेः / एवं सर्वक्रमामा. बात केवलं सकलकार्ययोगपद्यमवशिष्यते (तन्त्र च स्फुरतरः पूर्वा परकालयो; कर्तृत्वाकर्तृत्व प्रसङः / विरुद्धे च कर्तृत्वाकर्तृत्वे एकधमिनि सम्भवतः। एकस्वभावश्च तावत्कालमक्षणिक इति सिद्ध एतस्मिनकमयोगपद्ययोरयोगः। तदेवमणिके व्यापकानुप
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