Book Title: Six Philosophical Buddhist Tracts
Author(s): Asiatic Society of Bengal
Publisher: Asiatic Society of Bengal
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________________ 1 (4 ) __* गृहीत पक्षधर्मत्वे सम्पच स्मृतेऽनुमा। . भगहिरियते तदन्तावीण्य - भारानुसार रेश२२ राको प्रती येते महानसपसमझोऽस्तीत्युक्तमतनु व्याप्तिपरधर्मत्वयोरेकशः पतिपती प्रतीतानपि यस्यैव पक्षधर्मत्वमवगतं तस्यैव साध्येन व्याप्तिरवप्तितेति सामति साध्यसत्ताक धनमवेयर्य साधनस्य) -- र नन न पअधर्मत्वगतिः साध्यगतिः साध्यधामीदागदार संस्पति (नापि व्याप्तिप्रतीतिरेव साध्यसिद्धिः। --- सामाज्यालम्वतया धर्मिविशेषेण धर्मयोरनवच्छेदा--- ल, अन्यथा विशेषयोव्याप्तिप्रसंगात / तस्यं व्यरतवि बयः सामादिति हेनिशः। भय हेतो स्त्रैरुध्यपरि छेदसामर्यात साध्यप्रतीतिरुत्पद्यत इत्युच्यते।न 1067 तहीदानी व्यों हेतुः। स्वरूपनिश्चयेने साध्यनि-----श्वयोयजनेतात् / न हि चिदियत्ताधिकं किंगस्य कर्तव्यभस्ति इति। ------------- अपि च गृहीते परधर्मत्वे सम्बन्ध चस्मते अनुमानं भवद्रिरिष्यते तदन्ताप्ताबाध्यताम् / न हि बहिातिवादिनामपि विस्मृतायां व्याप्ती जम्मान प्रवृत्ति रस्ति / तत्र यस्यैव पक्षधर्मत्वम--- *2-सारण बयः सो (सत्ता कथन सत्तामयने अपना सामान, कमर) | युपास गुमागासयमित अपय से 2 /
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