Book Title: Six Philosophical Buddhist Tracts
Author(s): Asiatic Society of Bengal
Publisher: Asiatic Society of Bengal
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________________ 12. - - ------------ त्यत्रोपकारकग्रहणे उपकार्यग्रहणपसन्जनात चान्निधूमयोः कार्यकारणभाव इव स्वभावत एव धर्म धर्मिणोः प्रतिनियमकल्पनमुचितम् / तयोरपि --- प्रमाणासिद्धत्वात प्रमाणसिद्धेच स्वभावोपव----- निमिति न्याय:। -- यच्चात्र ज्याय भूप्रणेन सूर्यादिराहणे तयुपकार्याशिवस्तुराशिग्रहणपसजनमुक्तम् / तदभिपायानव-- गाहन फलम। तथाहि त्वन्मते धर्म धर्मिणो भेदः - उपकारलक्षणेव च प्रत्यासति तयुपकारकग्रहणे समानदेशस्यैव धर्मरुपस्यैव चोपकार्यस्य ग्रहणमा सजितम् / तत कपं सूर्योपकार्यस्य भिन्न देश--- स्य द्रव्यान्तरस्य वा दृष्टव्यभिचारस्य ग्रहणप्रस---- गः सङ्गतः। तस्मात् एकधर्मद्वारेणाऽपि वस्तस्वरूपतिपत्ती सर्वात्मप्रतीतः क शब्दान्तरण विधिनिषेधानका अस्चि च, तस्मान्न स्वलअणस्य शब्दविकल्पलिप्रतिभासिवत्वमिति.....स्थितम् / नापि सामान्यं शाहदप्रत्यय प्रतिभासि) सरितः -
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