Book Title: Siddh Hemchandra Vyakaranam Author(s): Himanshuvijay Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi View full book textPage 4
________________ 0000000 00000 0000000000000000000000000 प्र बे बोल son • जगतमा जीवोनी मन वचन अने कायाद्वारा अनेकविध प्रव. चिओ थाय छे. आ अनेकजातनी प्रवृत्तिओमाथी कोइ पण एक बर्गनी प्रवृत्तिना सचोट अने व्यवस्थित नियम घडवामां आवे छे तेने जनसमुहनी ते प्रवृत्तिनु शास्त्र कहे छे. ___ कोइपण शास्त्र जे विषयने नियम पूर्वक चर्चे ते विषयतो जग मा तेनी रचनानी पूर्वेज बनतो होय छे. व्याकरणशास्त्रो रचायां ते पहेलो पण भाषा तो बोलाती ज अने वैद्यकशास्त्रना ग्रंथो रचाया ते पहेलो पण लोको पोताना रोगोने औषधिथी मटाडता. पण ज्यारे शास्त्ररचना थाय त्यारे पृथक् पृथक् लोकोद्वारा थती पद्धतिओने ते सरणि पूर्वक गोठवे छे अने तेना चोकस नियमो घडे छे. आ संस्कृतभाषा प्रण एक काले जनसमूहनी भाषा हती. परंतु जते दिवसे तेमा फेरफार थतां तेमाथी प्राकृतभाषाओ बनी अने ते भाषाओ पण समयना व्हेणसाथे परावर्सन पामतां गुजराती, मराठी, हिंदी, बंगाळी विगेरे भिन्न भिन्ननामे भिन्न भिन्न रुपान्तरो पामी प्रसिद्धिने पामी. आम छतां भारतना एक छेडाथी बीजा छेडा सुषी वत्वचिंतकोनी भाषा तो संस्कृतज रही. अने ते नवीन फेरफारोथी अटकी नियमबद्ध बनी अने आजे सेंकडो वर्ष थयां संस्कृत भाषा मान्तर विना तेज़ स्वरुपे आपणी पासे मोजुद छे. आ भाषामा सेंकडो हजारो वर्षपूर्वे थयेला तपस्वी महर्षिओनो आयात्मिक विकासक्रमनो इतिहास अने भारतनीश्रमण अने ब्राह्मण संस्कृति आंतप्रोत भरेली छे. मा संस्कृत भाषाना ज्ञानमाटे कलिकाल सर्वज्ञ हेमचंद्रशरिजी ए सिद्धहेमशब्दानुशासन नामनो महाग्रंथ बनाव्यो ते पहेला पाणिPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 1054