Book Title: Siddh Hemchandra Vyakaranam
Author(s): Himanshuvijay
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi
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प्रमाणमीमांसानों माविष्ट मामा प्रमाणशाख आठमा अध्यापनी लपति बादानुशासन शेषसंग्रहनाममाला शेषसंग्रहनाममाला सारोद्धार सक्षसंधानमहाकाव्य
प्रभावक चरित्रकार जणावे छ के 'तेमना बनावेला केटला प्रो छ तेनुं नाम पण मारा जेवा मंदबुद्धि जाणता नथी.
न्याय, व्याकरण, साहित्य, तर्क, कथा, धर्म विगैरे पाय शास्त्रोनुं ज्ञान धरावता होवायी हेमचंद्रहरिने कलिकाल सर्वझर्नु विरुद विद्वानोए आप्युं छ. सेंकडो विद्वानो मेगा मळी जे न करी शके ते कार्य तेमणे एकल हाथे कयु छे अने ते उपरांत कुळपरंपराथी शैव धर्मना भक्त सिद्धसजने उभगाव्या विना जैनधर्म प्रत्ये रूचिवंत पनाव्यों अने कुमारपाळने परमाईत् बनावी जैनधर्मनी परमप्रभावक बनाव्यो. जे कार्य भगवान महावीरना वखतमा घेणिक नहोवा करी शक्या ते कार्य कलिकाल सर्वज्ञ हेमचंद्रसरिना उपदेशथी कुमारपाळे कर्युः गामेगाम अने शहेरेशहेर जैनधर्मनी पताका फरकावी अने अढारे वर्णमा अहिंसाना संस्कार रेड्या जे आजे पण गुजरातनी प्रजामा छे.
कलिकाल सर्वज्ञ हेमचंद्रहरि ने रामचंद्रशरि, महेन्द्रपरि, गुणचंद्रसरि, वर्षमानगणि, देवचंद्रमुनि, यशचंद्र बालचंद्र विगैरे शिष्यो हता, तेमां रामचंद्र कवि मूख्य हता. आ बधाए प्रखर विद्वानो अने समर्थ प्रतिभासंपन्न हता. रामचंद्र कविए सो नाटको बनान्या छे.
इति तद्विहितग्रन्थसंख्यैव नहि विद्यते । नामापि न विदन्त्येषां माशा मंदबुद्धयः ।।
प्रमापक चरित्र: प ३४
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