Book Title: Siddh Hemchandra Vyakaranam
Author(s): Himanshuvijay
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi

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Page 13
________________ १० ग्रंथना पुनर्मुद्रण वखते केटलाक व्याकरणना अभ्यासीओनी इच्छाने ध्यान आपी. प्राकृतव्याकरणरूप आठमो अध्याय, लिंगानु शासन, धातुपाठ, उणादि, कारिका विगेरे सिद्धहेमशब्दानुशासनना सूत्र, धातुपाठ, लिंगानुशासन, उणादि अने गणपाठरुप पांच अंग पैकीनां चार अंगो आ ग्रंथमां आपवामां आव्यां छे. गणपाठ पण आपवानी भावना हती परंतु ग्रंथ बहु मोटो थई जशे ते बीके तेने अटकावी संतोष मान्यो छे. आ व्याकरणना स्पष्टीकरण अने स्वरुप अंगे बीजा व्याकरणना सूत्रो सानी तुलना तद्भिद्वत कृदंतना प्रत्ययो तद्धित अर्थो, विभक्तिनां विधानो अने अपवादो, समास संधिना प्रकागे सूत्रोमां आवेल धातुओ विगेरे वगेरे घणां परिशिष्टो आपी शकाय पण ग्रंथ गौवरवने लई मूळ मूळ साहित्य प्रगट कर्यु छे. ग्रंथकारे आ ग्रंथ एवो सर्वांग संपूर्ण ग्रंथ बनाव्यो छे के बीजाने कांइ जणाववानुं रहेतुं नथी. आ लघुवृत्तिग्रंथ कंठस्थ कर्या छतां व्याकरणनां बीजां अंगोने जाणवामां न आवे तो व्याकरणज्ञान अधुरूंज रहे तेथी तेनां बीजां अंगों लिंगानु शासन, धातुपाठ, उणादि विगेरे अने प्राकृतादि भाषाना व्याकरणरूप आठमो अध्याय आ ग्रंथमां दाखल करी अभ्यासीओने कंठस्थ करवा योग्य बधु साहित्य एकज ग्रंथमां मळी रहे ते आशये सं. १९९१मां छपायेल ग्रंथ करतां आनुं दल सवाथी दोढुं करवामां आव्युं छे. आपणां धर्मशास्त्रो अने भारतना बधा धर्मशास्त्रोना ज्ञानमाटे भाषा ज्ञाननी प्रथम आवश्यकता रहे छे ते भाषाशास्त्राने संपूर्ण जणावनार आ ग्रंथनुं अध्ययन करी वांचको धर्मशास्त्राने जाणी धर्ममां वधु दृढ बनशे तो आ ग्रंथनुं प्रकाशन करनार संस्था तथा अमे अमारा प्रयत्नने फळदायक मानी आनंद पामीशुं. . आ ग्रंथमां दृष्टिदोष के सहज प्रमादने लहू कोइ रखलना थइ होय तो तेने वांचको क्षंतव्य गणशे एज अभ्यर्थना. A ता. ५-१०-५० पं. मफतलाल झवेरचंद गांधी. खेतरपाळनी पोळ - अमदावाद.

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