Book Title: Siddh Hemchandra Vyakaranam
Author(s): Himanshuvijay
Publisher: Anandji Kalyanji Pedhi
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अवसात ११५० मा थतां खरो राज्याधिकारी तो ११५१ मांज सिद्धराज जयसिंह बन्यो. 1. वि. सं. ११९३मां सिद्धराज जयसिंहे मालवराजना यशोवर्मानो पराभव कर्यो, अने मालवामांथी लावेला ग्रंथसंदर्भमा भोज रचित सरस्वती कंठाभरण विगेरे ग्रंथो जोता सिदराज जयसिंहने पोतानी अदलक संपत्ति अने सत्ता विद्याव्यासंग विना निरस जेवां लाग्यां. तेणे सभा सामे दृष्टि फेरवी. आवा कोई अपूर्व ग्रंथनी रचना करवा विद्वानोने निमंत्रण आप्यु. राजसभाना विद्वानोए हेमचंद्रसूरिनुं नाम सिद्धराज आगळ रजु कयु. *सिद्धराजे आ पछी कोई सुंदर ध्याकरण ग्रंथ बनाववानी आचार्य हेमचंद्रसूरिने विज्ञप्ति करी.
हेमचंद्रमरिए ते काळनां प्रसिद्ध व्याकरणोनी आठ प्रतिओ. मंगावी अने एक वर्षना टुंक गाळामां +सवालाख श्लोक प्रमाण 'सिद्धहेमशब्दानुशासन' नामनु पंचांग व्याकरण बनाव्यु.
कलिकाळ सर्वज्ञ हेमचंद्रसूरि सिद्धराज अने कुमारपाळ ए त्रणेना जन्मकाळमां बहु वर्षनु अंतर नथी, सिद्धराजनों जन्म वि. सं. ११४३ मां, हेमचंद्रसरिनो जन्म वि. सं. ११४५मां अने कुमारपालनो जन्म वि. सं. ११४९मा थयो हतो.
कलिकाळ सर्वज्ञ हेमचंद्रसरि, सिद्धराज अने परमाईद कुमारपाळ भ संवधर्मा घणं प्राचीन साहित्य मले छे अनेते प्राचीन साहित्यने
* यशो मम तव च्यातिः पुण्यं च मुनिनायकः विश्वलोकोपकाराय कुरु व्याकरणं नवम् ॥९ प्रबंधचिंतामणि. + श्रोहेमचन्द्राचार्यः श्रीसिद्धहेमाभिधान अभिनवं पञ्चांगमपिव्याकरसपलक्षग्रन्थमाण संवत्सरेण रुपयांपके
प्र. चितामणि. पत्र. ६०. x १ संस्कृत प्राकृतव्याभयकाव्य २ मोहराजपरामवनाटक कुमारपालतियोधप्रबंधचिन्तामणि प्रभावकारिक बय
कितनाराकाथरिव ६ पारिवसुदरमाणितकुमारास
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