Book Title: Shrutsagar Ank 2012 02 013 Author(s): B Vijay Jain Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 2
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Promeg આજથી ૨૫ વરસ પૂર્વે તા. ૧૨-૦૨-૧૯૮૭ ના દિવસે ત્રિના સમયે વિવધરંગી સેશનીથી ઝળળતું-દીપનું શ્રી મદ્યવીરલયનું મનોહર દૃશ્ય. www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्हम्नमः श्रीमहावीर जैन आराधना में की स्थापना और श्रीमहावीरस्वामि जिनालय की प्रतिमा के खूवर्ष पूर्ण होने को आये है। मप्रतिको रजतजयंति महोत्सव मनाया जाने बालमनाई। प्रभुजी की प्रति बाइसे दिनों-दिन को बा का विकास होता चला आ रहा है। संस्थाके कार्यक्षेत्र में भी अभिवृद्धि हुई। संस्थामे निर्मित श्री कैलास सागररिज्ञान मंदिरले भी अंतर्राष्ट्रीय जगत में अपना स्थान लिया। अनेक साधुजन विद्वान साहित्य से समृद्ध ज्ञानमंदिर में आकर अपनी पीपासझति है। साहित्य के साथमे कला का भी सुंदर संग्रह संस्थाक पास में है। इस रजत जयंतिक प्रसंग पर "भुत सागर" वैमासिक पत्रिका का भी पुन: प्रकाशन प्रारंभ किया जा रहा है। पत्रिका पूवार्य भगवंत साधुगण एवं विद्वानों के चिंतन पूर्ण लेखस समृद्ध होगा। सर्वप्रथम ज्ञान के क्षेत्र में सेवा अर्पण सुनिराज श्री निर्माण सागर जी जिन्होंने कठिन अमर ग्रन्थों को व्यवस्थित करने में सहयोग दिया। ज्ञान मंदिर उनके द्वारा किये गये कार्य को अपनी स्मृति में बनाये रखेगा वर्तमान मंदिर विकास किये जिन्होंने अपना समय और दिन दिया और देस) रहे हैं ऐसे पंन्यास श्री अजय सागरी मुंबई 2-1-12 को भी मैं धन्यवाद देता। मार्गदर्शनज्ञान के सभमे प्रति उपयोगी सिदो गरे। तदुपरांत संस्थाकरीण जिनका संस्था कार्य में सरकार मिल रहा है, वे भी धन्यवाद के राम हैं। संस्थायें अपनी सेवा देने वाले पंडित वर्गवा अन्य रामकर्मचारियों की भी मैं अपनी और से हार्दिक आशीर्वाद इस शुभ प्रसंग पर देखाई। परम पूज्य रामाधिपति भी लाससागरकार्य सुखरूपसंपन्नरी और संस्थायी seym swine Gruntime cars Ca Cameramenin saina Canon adminPage Navigation
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