Book Title: Shrutsagar Ank 2012 02 013
Author(s): B Vijay Jain
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir याथार्य श्री दाशाशरसूति जानीहिर प्रवचन अंश Bin/471मझे जाttariafe A"dana" ५लिस101न प्रकाशन लेनेere|AL 41 माला441119 violence I nyाने myास करणरसीसीआई) 14-सार- Acre एजे, परभसयाॐ 25440417 मनि01- ) 430 रिलेस पत्रिका प्रकाशित किजानीरामनगरपक्षा सरल-स(जमावामें लोगो / /M) प्राप/0/01 मुआ मिलोस ५//iर लाल सागर"पना अपने लो प्रतियRGHTT) पसरर... आज भगवान् महावीर ने गौतम स्वामी से बार-बार कहा है कि-'हे गौतम ! एक क्षण का भी प्रमाद मत कर।' क्योंकि बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। इसलिए उसका सदुपयोग करना चाहिए। समय चंचल है, वह कभी पकडा नहीं जा सकता। और अगर पकडा भी जाय तो रोका नहीं जा सकता। तीर्थंकर भगवान भी समय को रोक नहीं सके हैं। समय को रोका नहीं जा सकता, लेकिन उसे खरीदा जा सकता है। उसे खरीदा जा सकता है, सद्गुणों के द्वारा। जिसके पास समझ है, विवेकबुद्धि है, वही समय का उपयोग सत्कायों में कर सकता है। जो समय चला जाता है, वह जाने के बाद वापस नहीं आता, इसलिए आनेवाले कल का काम आज ही कर लेना चाहिए। बीती हुई 'कल' की बात को भूल कर 'आज' को सुन्दर बनाना चाहिए। जीवन को 'कल' के भरोसे नहीं, 'आज' जीना है। समय तो जल के प्रवाह की भाँति जा रहा है। उसे स्वाध्याय, तप, ब्रह्मचर्य, उपकार और दान के द्वारा सार्थक व शोभायमान करना है, सद्गुणों में यथासंभव वृद्धि करनी है। (राष्ट्रसंत प.पू. आ. श्रीपद्मसागरसूरिश्वरजी म.सा. के प्रवचन में से संकलित), मंड-45INS सोन्य: | શ્રી નવિનચંદ્ર જગાભાઈ શાહ પરિવાર, શાંતકુઝ-મુંબઈ 'હસ્તે - ફાલ્ગનીબેન શાહ, અમદાવાદ To, Book-Post NAVNEET M.: 9825261177 For Private and Personal Use Only

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