Book Title: Shrutsagar Ank 1998 09 007
Author(s): Kanubhai Shah, Balaji Ganorkar
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर, भाद्रपद २०५४ किया गया. मुख्यमंत्रीश्री ने आचार्यश्री प्रेरित इस अनुकंपा के लिए आभार व्यक्त किया और गुरूदेव के चरणों में अपार श्रद्धाभक्ति के सुमन अर्पित किए. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पालीताणा तीर्थक्षेत्र में अहिंसा यूनिवर्सिटी बनाने का आह्वान किया तथा इस दिशा में पूर्ण सहयोग देने का वचन दिया. । हो कि पूज्य आचार्यश्री के धर्मबिन्दू ग्रंथ पर प्रत्येक रविवारीय प्रेरक प्रवचन दोपहर ३-०० से ४-३० तक हो रहे हैं. अहमदाबाद-साबरमती एवं गांधीनगर आदि से हजारों श्रोता प्रवचनरूप अमृतपान कर रहे हैं. रविवारीय प्रवचन के बाद गुरुभक्तों द्वारा साधर्मिक वात्सल्य रखा गया है. पर्व पर्युषण में अनेक नगरों से उपासकों ने पधार कर सुन्दर तपस्या के साथ धर्माराधना की. पूज्यश्री के प्रेरक प्रवचनों का अमूल्य लाभ प्राप्त कर आराधकों की साधनाएँ सफल हुई. *गुरूदेव के शिष्य प.पू. ज्ञानध्यानतपोनिष्ठ उपाध्यायजी श्रीमद् धरणेन्द्रसागरजी म.सा. आदि ठाणा का श्री नारणपुरा जैन संघ में सुन्दर चातुर्मास प्रवेश हुआ. आपश्री की निश्रा में पर्युषण पर्व के अवसर पर सुन्दर तपस्यादि आराधनाएं सम्पन्न हुई. प्रशान्तमूर्ति पंन्यासप्रवरश्री वर्धमानसागरजी म.सा. एवं नूतन पंन्यासप्रवरश्री विनयसागरजी म.सा. आदि ठाणा श्री मीराम्बिका जैन संघ नारणपुरा में चातुर्मास विराजमान हैं. आपकी प्रेरणा से श्रीसंघ में सम्यग् ज्ञान हेतु शिविरों के सुन्दर आयोजन हो रहे हैं तथा पर्युषण पर्व के उपलक्ष्य में उल्लेखनीय तपाराधनायें हुई. ज्योतिर्विद नूतन पंन्यासप्रवर श्रीमद् अरुणोदयसागरजी म. एवं नूतन बालमुनि श्री कैलासपद्मसागरजी म. का चातुर्मास श्री सीमन्धर जिन मंदिर महेसाणा तीर्थभूमि में व्यतीत हो रहा है. प.पू. पंन्यासजी म. की पावन प्रेरणा से श्री रांतेज जैन तीर्थ के जीर्णोद्धार का कार्य सुचारुरूप से आयोजित हो रहा है. गुरुभक्तों को उदारता से इस पुण्यानुबंधी पुण्य के शुभ कार्य में सहयोग करने का यह अति उत्तम योग प्राप्त हो रहा है, अतः आप सहयोग अवश्य करें. *प्रवचनकार, युवामुनिवर श्री निर्मलसागरजी म. एवं मुनिवर श्री पद्मोदयसागरजी म.सा. ब्यावर(राज.) में चातुर्मास विराजमान हैं. सुमधुर प्रवचनकार, युवाहृदयसम्राट मुनिवरश्री विमलसागरजी म. आदि ठाणा मेवाड़ की धरती उदयपुर में चातुर्मास विराजमान हैं. आपकी निश्रा में हर्षोल्लास पूर्वक धर्माराधनाएँ चल रही है. *पू. मुनिवर्य श्री निर्वाणसागरजी म. एवं मुनिवर्य श्री अरविंदसागरजी म. आदि ठाणा महेसाणा जैनसंघ में चातुर्मास विराज रहे हैं. यहाँ पर्युषण पर्व के अवसर पर अनुमोदनीय तपस्याएँ एवं उत्सवों का आयोजन हुआ. भादों शुक्ल ११, दि. २/९/९८ के शुभदिन पूज्य आचार्यश्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा के जन्मदिन के शुभ अवसर पर गुजरात के महामहिम राज्यपाल माननीय श्री अंशुमान सिंहजी ने पधारकर पूज्यश्री के चरणों में शुभ कामनाएँ प्रदान की एवं अपनी श्रद्धाभक्ति के सुमन समर्पित किए. सोने में सुगंध की तरह इस अवसर पर १००८ पू. अनन्त श्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु रामानुजाचार्य इन्द्रप्रस्थ एवं सिद्धदातापीठ हरियाणा पीठाधिश्वर स्वामी श्री सुदर्शनाचार्यजी महाराज का पदार्पण हआ. आपने पूज्य गुरूदेव के चरणों में अनेकों शुभ कामनाएँ अर्पित की. !!! पाठकों से नम्र निवेदन !!! यह अंक आपको कैसा लगा, हमें अवश्य लिखें. आपके सुझावों की हमें प्रतीक्षा है. आप अपनी अप्रकाशित रचना/लेख सुवाच्य अक्षरों में लिखकर/टंकित कर हमें भेज सकते हैं. संपादक, श्रुतसागर, आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा, गांधीनगर, ३८२ ००९ For Private and Personal Use Only

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