Book Title: Shrutsagar 2019 07 Volume 06 Issue 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 11 SHRUTSAGAR July-2019 सुंदर नकशीवाळा झरूखा, जाळीया होवानुं तथा विशेषमां पहेली पोळ पासेना द्वार पासे उत्तर (दिशा)ना बादरी (मेघ?) जेवा काळा २ हाथी होवा, पहेली पोळमां तेमज उत्तर (दिशानी?) पोळमां खेतलवीर तथा (जमणी सुढवाला)गणपतिनी मूर्ति होवा, चालना ९ मां पद्यनी नोंध मुजब सींगीबंधनी पाछळ गंगा (नदी?) वहेती होवानुं तेमज प्रदक्षिणामां खाळे तथा कांगरावाळो कोट जोयानुं कवि जणावे छ । अहिं काव्यना ११ थी १४ नं. ना पद्यो स्पष्ट समजाता नथी तेथी ते अंगे अमे विशेष कशुं लख्यु नथी। प्रदक्षिणा पूर्ण करी माणेकचोकथी जिनालयना (?) पगथीया चडता गोगादेव जुहार्यानी तथा बीजी पोळनी कोरणी, स्थंभ तेमज बारणादि निहाळ्यानी वात कविए दूहा अने चंद्रायणि छंदमां गुंथी छे । ते ज वातने आगळ वधारता कविए त्यारपछीनी चालमां त्यां ध्वजदंड-कळश सहितनी ५२ देरी, सुखड घसवाना ओरसीया, भोयरुं, पक्षालनी खाळ, सुवर्ण कळश तथा ध्वजदंडथी शोभतुं मूळनायकनुं जिनालय, पत्थरमां कंडारायेल सिंह तेमज आबु जेवी कोरणीवाळा चौमुख शिखर जोयानी महत्वपूर्ण विगत आलेखी छ। ____ अहींथी पगथीया उतरीने आगळ जता चौमुखना जिनालयमां अनेक जिनबिंबो, मुनि जि(ज)न पादुका तथा प्रदक्षिणामां रहेला २ जिनबिंबो जुहार्यानी ऐतिहासिक विगत कवि वडे गाथा २९ थी ३३ मां गुंथाइ छ। आ ज वर्णनक्रममां कवि आगळ वधता खेला-मंडपनी कोरणीनी, संघयात्रीओ वडे कराता पूजाथाटनी, खेलामंडपनी डाबी बाजु स्थपायेल पंचतीर्थ(पट्ट) तथा हाथी (चौमुख?)नी, तेमज रंगमंडपमां कोरणीवाळा झरुखा अने भंडारादिक जोयानी विगत त्यारपछीना ९ पद्योमां रजू करे छे। जो के रंगमंडपना मळता अन्य काव्योना वर्णननी अपेक्षाए आ पद्यो- वर्णन थोडं अधुरं होय तेवू लागे छ। हवे पछीना काव्यो प्रभुना दिव्यस्वरूपनी वर्णनाने उद्देशीने कविए रच्या छे तेमांय खास करी उल्लेखायेली आभूषणोनी विगत लोकोनी प्रभु प्रत्येनी द्रव्य पूजा-भक्तिनुं उदाहरण छे. आज गाथा क्रममां पाछळ कवि प्रभुना जन्म महोत्सव- संक्षिप्त वर्णन करे छे। जो के ते वर्णनना ३ पद्योना अंत्यभागे प्रभुना विहार करता गोढाण देशमां पधार्यानी, दादा-वसही(?)मां प्रगट थयानी तथा वीझेवा संघे प्रणम्यानी कोई विशेष बीनीनो संकेत जणाय छे परंतु ते स्पष्ट समजी शकातो नथी। काव्यनी छेल्ली चालमां कविए वरकाणामां भराता पोस दसमना मेळानी तथा त्यां मळती वस्तुनी अछडती नोंध अहीं रजू करी छ। गझलना छेल्ला ३ पद्यो कवित्त काव्य स्वरूपनी रचना छे। जेमां प्रथम कवित्तमां For Private and Personal Use Only

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