Book Title: Shrutsagar 2019 07 Volume 06 Issue 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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July-2019
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SHRUTSAGAR
17 गडगड त्रंबालुं गु(ग)डे, धुरे निसांणे१ घाय२ ।
आरतीयां जिनरायनी, इंद्र उतारे आय रंगमंडप रलीयामणो, देख्या मोहत मन(न्न)। वाह वाह विधिसुं बण्यौ, नीरमल (नि)हुआ जतन(न्न) चालि- रंगमंडप ही राजेक्, सुंदर काम ही छाजेक् । देखी जालीयां जोखाक्, जांणे मुगत की मो(गो?)खाक् भंडार भूर हे भरीयाक्, खजाना बहुत ही धरीयाक् । सुवर्णवांन हे मुंडाक्३, तिणका पार नहीं तुंडाक्४, दूहा- मूलगभारो(रा) मो(मा)हिला, मै अ(आ)ज नैणे दीठ। भांण समोवड झलहलें, पावन हुई दीठ६५ पारस परतख पेंखीयो, चिंतामण चित्तवेल६६ । जब संग पारस भई, अरीयण नांख्या ठेल चालि - दीठी दीप की मालाक्, तोरण जा(झा)कज(झ)मालाक् । कीवी आरती आसीक्, खेवत धूप सुवासीक् केसर दणा मेलीक, कपू(प्पू)र कस्तु(स्तू)री भेलीक् । इस विध आंगीयां ओपेक्, दुनीयां आण नहीं लोपेक् मोगर मालती मोहेक्, चंपा केवडा सोहेक् । गयंदा ८ गुंथकें ल्यावेक, प्रभुने मस्त चढावेक् दरसण देव का दीठाक्, पाप सर्व ही नीठाक् । मस्तक मुगट ही ज(झ)लकेक, कंठे हार ही हलके कांने कुंडला सोहेक्, निरमल नेत्र ही मोहेक् । भाला वीस हे टीलाक्, जडीया नंग ही नीलाक् कंठे चंप की कलीयाक्, विच विच लाल ही मलीयाक् । बाजुबंध है भारीक, नीका काम है बारीक
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६०. एक जातनुं नगारा जेवू वाद्य, ६१. नोबत, डंको, ६२. प्रहार, ६३. जिनालयनु मुख आगळनो भाग?, ६४. ?, ६५. दृष्टि, ६६. चित्रवेली, ६७. करी, ६८. फुलनुं नाम(?), ६९.?, ७०. कळी,
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