Book Title: Shrutsagar 2019 07 Volume 06 Issue 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 श्रुतसागर जुलाई-२०१९ श्री वरकाणा पार्श्वनाथ गझल गणि सुयशचंद्रविजयजी 'गझल' मूळे तो शृंगाररस प्रधान रचनाओ कहेवाती। पूर्वे आरबादि देशोमां स्त्रीओनुं के तेणीना सौंदर्य- वर्णन करवा माटे विशेषे करी आ साहित्य प्रकार प्रयोजातो। काळांतरे हिंदुस्तान परना मोगलोना सत्ताकाळ दरम्यान गझलोनो अहीं पण प्रचार-प्रसार वध्यो। जो के ते पूर्वे ज सुफी संतोए गझल साहित्यनी शृंगारप्रधान शैलीने आध्यात्मिकतानुं स्वरूप आप्यु हतुं । तेथी सुफी संतोनी जेम अन्य कविओए पण आध्यात्मिकतानी छांटवाळी घणी गझलो रची। आम सौप्रथम अरबी, फारसी भाषामां रचायेली गझलोनो विस्तार छेक उर्दू, हिंदी, गुजराती जेवी प्रादेशिक भाषाओमां पण थयो। अन्य कविओनी जेम जैन दर्शनकारोए पण गझलनी लोकचाहनाने जोई ते साहित्य उपर पोतानी लेखनी चलावी। तेमणे आध्यात्मिक गझलोनी साथे साथे औपदेशिक गझलो तो बनावी ज, परंतु ते सिवाय पण ऐतिहासिक काव्य कृतिओ कही शकाय तेवी प्रादेशिक गझलोनो एक नवो आयाम तेमणे पोतानी आ रचनाओ द्वारा रजू कर्यो। आ प्रादेशिक गझलोमां तेमना वडे जे ते नगरना भौगोलिक चितार सहित त्यांना राजकीय-धार्मिक-व्यावसायिक तथा लोक स्वभावना स्वरूपने विस्तृत रीते रजू करवामां आवतुं । खास तो जे ते नगरीना तत्कालीन इतिहासने स्वतंत्रपणे रजू करवा माटे बनावाती लघुकृतिरूपे आ काव्य प्रकार वधु प्रसिद्धि पाम्यो । तेमांय कवि खेतल(खेतो), यति कल्याणविजयजी, पंडित जिनेन्द्रसागरजी जेवा जैन कविओए आ काव्यप्रकारमां नानी-मोटी स्वतंत्र के विज्ञप्तिपत्रादि काव्यान्तर्गत सुंदर काव्यकृतिओ सर्जी आवा काव्यो- साहित्यिक मूल्य पण वधार्यु। जैन कविओए कुल मळी आवी ५७ नानी-मोटी रचनाओ करी छ । जेनी नोंध आपणे फरी क्यारेक जोईशुं । जो के जैन कविओ सिवाय आवी गझलो कोई अन्य दर्शनना कविओए रची होवानुं ख्यालमां पण नथी। कृति परिचय काव्यनी शरूआत कविए 'मां' शारदाना तथा पोताना आराध्य देव (?) गणपतिजीना नामस्मरणथी करी छ। कविश्री काव्यमां सौप्रथम जिनालयना (पोळ) दरवाजानुं वर्णन करता होय तेवु जणाय छे । जो के तेओ चोक्कस कई दिशाथी वर्णन करवानो प्रारंभ करे छे ते स्पष्ट थतुं नथी परंतु काव्योनो तात्पर्यार्थ जोता जे ते दिशामां For Private and Personal Use Only

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