Book Title: Shrutsagar 2017 05 Volume 12
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR May-2017 भगवंतने थयेल सायण(शाकिनी)नो उपद्रव नाश पाम्यो, तो अन्य एक महंतनो दुःसाध्य एवो रोग पण ते देवनां वचनथी दूर थयो. कोई स्त्रीने अवतरतां मृत बाळको आ ज देवनी पूजाथी जीवंत थयां, तो वंध्या स्त्रीने भाद देवनां आशीषथी पुत्र उत्पन्न थयां. कोईकनां वळी समुद्रमां तोफानथी डोलतां वहाणो भाद देवनां स्मरणथी खेमकुशल पाछां फर्यां, तो कोई संघनां मिथ्यात्वी देव द्वारा संताडायेली राजविहार प्रासादनी बारशाखो आ ज देवनां कहेवाथी, अंबिकादेवीनां बलिविधान पूर्वक नवां पाषाणनी बनावी पाछी मेळवी. आवां तो घणां प्रसंगो हशे, पण वर्णववानी मर्यादा होई कविए ढूंकमां ज ते वर्णवी काव्य- समापन कर्यु छे. कविए काव्यमां क्यांय पण पोतानुं के पोतानी गुरु परंपरानुं वर्णन कर्यु नथी, तेथी काव्य रचनानो, कविनो के भाद देवनी हयातीनो कोई चोक्कस समय जाणी शकातो नथी, पण प्रतनी लेखन पद्धति, अक्षर मरोडनां आधारे तेमज प्रति आलेखनमां लेखके सोमजयसूरिने करेलां नमस्कारने आधारे अंदाजे कृति १५मी सदीनां उत्तरार्द्धनी होय तेम लागे छे. वळी कृतिनी भाषा पण कृतिने १६मी सदी आसपासनी होय तेवं मानवां मनने प्रेरे छे. हवे एक प्रश्न फक्त भाद देवनां समयनो छे ते अंगे हवे थोडुं विचारीए. आगळ आपणे विचार्यु ते मुजब जो कृतिनी रचना सोमजयसूरिनां नजीकनां काळमां एटले के १५मी सदीनां उत्तरार्द्धमां थई होय, तो भाद देवनो प्रभाव १६मी सदीमां शनुजयनी आसपासनां प्रदेशमां फेलायेलो होय तेम मानवू पडे. अहीं कविए 'वात प्रकासीअकेतली माहालंतडे, जे दीठी प्रत्यक्ष ए पदथी पण पोते देवनी हयाती अनुभव्यानो स्पष्ट खुलासो को ज छे. वळी आगइ जे हुई अछइ ए माहानंतडे, तेहु छइ भाख असंख' ए पदथी भाद देवनी घणी घटनाओ पोतानी साक्षी पूर्वे थई होवार्नु बताडवां द्वारा कविए उपलक्षणथी भाद देवनां पूर्व अस्तित्वनो आडकतरो खुलासो आप्यो छे. एटले के १६मी सदीनां पूर्वार्द्धमां पण भाद देवनुं अस्तित्व हशे ज. छतां कोई व्यवस्थित पुरावो मळे तो भाद देव विशे वधुं स्पष्टता थाय. प्रान्ते कृतिनी हस्तप्रत संपादनार्थे आपवा बदल श्री हेमचंद्राचार्य जैन ज्ञानमंदिर (पाटण)नां ट्रस्टी श्री यतिनभाई शाहने खूब खूब आभार. प्राप्त प्रतमां कोई-कोई जग्याए गाथांकमां भिन्नता जोवा मळे छे, माटे प्रतमां आपेल गाथांकोने तेमनां तेम राखी, बाजुमां सळंग गाथांक आपेल छे. For Private and Personal Use Only

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