Book Title: Shrutsagar 2017 05 Volume 12
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
12
मे-२०१७
॥१४॥
॥१५॥
॥१६॥
श्रुतसागर
सिकति-विहूणा पुत्र जीवत देइ न सकइ एक, मंत्र-वयण जीवता हऊआ तिहिं नंदन छेक ॥१३॥ करूणाभर कंसार भाद नृप अतिसि विचार, नारि तणा हरा वंझ दोस देह पुत्र उदार; गुप्त वात केतली एक किहिता बंधि' नावइ, ज्ञान प्रमाणइ भाद मंत्र ते सहूअ जणावइ ॥१४॥ एक नर उत्तम ऋण संबंधि कन्याधन पूरां, पुत्र-विहूणा दिवस राति-भर भरीआ चिंता; भादराय तणुं एक चित्त जे ध्यान करंति, तास पसाइं तेह भवनि सुर-रंगि रमंति ॥१५॥ राजभवणि मांडवीअ तणी संकट विसमाई', भादरायना भगति प्रति नवि आवइ भाई; घणा सजननी घणीअ वार टाली वसमी वात, तिण कारणि सुरराय तणु जस अति अवदात ॥१६॥ पसुनवचन वेरिआ असुर सुर राय-विहार, बारसाख काढतां जाणी सुर ज्ञानभंडार; तेह वात सचिवा भणी सावय रूवि आवइं, नयण गयां देखडीअ भावि संताव२ जणावइ ।।१५।। ते असमंजस जखा अतीत तव संघ.... तिणि काजि अनेक उपल१३ जोया अणावी; मान प्रमाण वहीण४ तत्थ ते काज न आवी, तउ श्रावक जिन पूज करी सिरि भाद बोलावी ॥१६॥ जनभगति श्रीसंघ काजि करिवा सावधान,
भाद भणइ अंबिका प्रति करु बल-विधान;१५ १. थयां,
६. अडचण, २. घj,
७. कर वसुल करनार राजकारभारी, ३. वांजीयापणुं.
८.शमावे, ४. केटलीक.
९. दुःखनी, ५. कहेतां,
१०. चुगलीखोरनां वचनोथी,
॥१७||
॥१८॥
॥१९॥
११.रूपे, १२. दुःख, संताप, १३. पाषाण, १४. विहीन, १५. बळी-बाकुळां.
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36