Book Title: Shrutsagar 2017 05 Volume 12
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 30 मे-२०१७ तेओए ज अन्ते लख्यु छे के वृत्तिः पञ्चसहस्राणि येनेयं परिपठ्यते। भारती भारती चास्य, प्रसर्पन्ति प्रजल्पतः ।। 'जेनां वडे आ पांच हजार श्लोकप्रमाण वृत्ति भणाय छे, बोलतां एवां तेनी प्रभा आनंद अने वाणी विस्तारने पामे छे. तेमणे बीजां पण 'नेमिनाथचरित', 'उपदेशमाला टीका, “मतपरीक्षा पंचाशत्' वगेरे ग्रन्थो रच्यां छे. ___ए प्रमाणे आ सातसो वर्षमा जैन न्यायनो सूर्य बरोबर मध्याह्नकाळने अनुभवतो हतो अने ते समयमां थयेल आचार्यो तेनी आडे आवतां वादळोने विखेरी नाखी तेनां प्रकाशने प्रसारतां हतां. आज पण आपणा माटे ते आचार्योए प्रसारेल किरणोनो प्रकाश ग्रन्थरूपे विद्यमान छे. तो ते प्रकाशमां विचरीने अन्धकारनी पीडाथी बची आनन्दित थq. आलेख प्रभावकचरित्र, चतुर्विंशति प्रबन्ध, जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास तथा आ लेखमां आवता न्यायग्रन्थोमांथी उपलब्ध अने प्राप्त थयेल ग्रन्थोनां अवलोकनथी लखायेल छे, एटलो आवश्यक उल्लेख करी आ लेख समाप्त करूं छु. श्री जैन सत्यप्रकाश वर्ष-७, दीपोत्सवी अंकमांथी साभार क्या आप अपने ज्ञानभंडार को समद्ध करना चाहते हैं ? पुस्तकें भेंट में दी जाती हैं आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा में आगम, प्रकीर्णक, औपदेशिक, आध्यात्मिक, प्रवचन, कथा, स्तवन-स्तुति संग्रह आदि विविध प्रकार के साहित्य तथा प्राकृत, संस्कृत, मारुगुर्जर, गुजराती, राजस्थानी, पुरानी हिन्दी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं की भेंट में आई बहुमूल्य पुस्तकों की अधिक नकलों का अतिविशाल संग्रह है, जो हम किसी भी ज्ञानभंडार को भेंट में देते हैं. ___ यदि आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं तो यथाशीघ्र संपर्क करें. पहले आने वाले आवेदन को प्राथमिकता दी जाएगी. For Private and Personal Use Only

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