Book Title: Shrutsagar 2015 12 Volume 02 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 4 दिसम्बर-२०१५ श्रुतसागर यह लेख एक श्रेणी के तहत गतांक से क्रमबद्ध प्रकाशित किया जा रहा है। आशा है इस लेख के माध्यम से वाचकगण संस्था में उपलब्ध सूचनाओं के महासागर में से अपेक्षित सूचनाएँ सटीक रूप से किस-किस प्रकार से प्राप्त की जा सकती हैं; इससे अवगत होकर ग्रन्थालय द्वारा प्रदत्त सेवाओं का लाभ उठा पाएँगे । जैसा कि आप सब को विदित हो ही गया होगा कि तीर्थंकर प्रभु महावीरस्वामी की लगभग छब्बीस सौ वर्ष प्राचीन प्रतिमाजी को उनकी ही जन्मस्थली क्षत्रियकुण्ड बिहार से कुछ समाजकण्टकों द्वारा चुरा लिया गया। इस घटना से संपूर्ण जैन समाज को भारी दुःख हुआ । हमारी आन्तरिक एवं धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचानेवाली ऐसी घटनाओं की हम पुरजोर निन्दा करते हैं। हालाँकि आप सब की प्रार्थना एवं सद्प्रयासों के फलस्वरूप प्रतिमाजी अखण्डित रूप में प्राप्त हो गई हैं, लेकिन सर्व-धर्म-समभाव वाले एक सभ्य और धार्मिक राष्ट्र में ऐसी घटनाओं के लिए कोई स्थान नहीं है। भविष्य में कहीं भी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए हम सब जागरूक रहें और राष्ट्र एवं समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें। भारतीय प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति के रक्षण में जैन श्रेष्ठिओं एवं साधुसाध्वीजी भगवन्तों का अहम योगदान रहा है और आज भी है। हमारे पूर्वजों द्वारा हजारों वर्षों से संकलित एवं संरक्षित इस धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण, संवर्धन का दायित्व हम सब का है, इस देश के प्रत्येक नागरिक का है और यही हमारी असली पहचान है। हमारा गौरवमय इतिहास प्राचनीकाल से ही इस बात का गवाह है। इस अंक के माध्यम से हमारी विनम्र अपील है कि भारतीय प्राचीन धरोहर के संरक्षण संवर्धनार्थ सदैव तत्पर रहें और राष्ट्र की गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखने में सहभागिता पूर्वक यथायोग्य सहयोग प्रदान करें । आशा है इस अंक में संकलित सामग्री द्वारा हमारे वाचक लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से अवगत कराने की कृपा करेंगे। For Private and Personal Use Only

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