Book Title: Shrutsagar 2014 12 Volume 01 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR DECEMBER-2014 रीवाज छोडवा मांड्यो छे. पण जैनशाळाओ माटे पान वा अपान गोखणपटीया मास्तरो रखाववा अने पोते श्रावकोने भणाववा माटे उद्यम न करवो, आ कंई जैनोनी सनातन रीत नथी. हालमां ईंग्लीश विद्या वगेरेना अभ्यासमां नवीन युवान श्रावक पुत्रो तथा पुत्रीओ प्रवृत्ति करे छे, तेथी तेओने भणाववानी शैली कढंगी थई पडी छे. साध्वीओ फक्त जूनी रीत प्रमाणे, ते पण थोडी महेनतमा घणो बोध न थाय तेवी पद्धतिए श्राविकाओने अभ्यास करावे छे, तेथी श्राविकाओनी तर्कशक्ति तथा चारित्रशक्ति बराबर खीली शकती नथी; माटे नवो अनुभव लई धार्मिक शिक्षणनी पद्धति चलाववानी आवश्यकता छे. _____ जो साधुओ अने साध्वीओ भणाववानी पद्धति छोडी देशे तो, श्रावको तथा श्राविकाओनी साधुवर्ग प्रति प्रीतिभावना तथा भक्ति-भावना ओछी थशे अने तेथी नवा साधुओ तथा साध्वीओ थई शकशे नहि, अने तेथी साधु अने साध्वी तीर्थनी न्यूनता थवानो प्रसंग आवशे. हालना वखतमा गोखणपटिया ज्ञान अने हृदयना भावज्ञान विनानी उपर उपरथी अन्ध श्रद्धाथी करवामां आवती क्रियाओ थकी जैनोनी उन्नति थवानी नथी. ज्ञान अने क्रियामां सुधारो करवानी जरूर छे अने ते श्रुतज्ञानना पूर्ण अभ्यासी थया विना समजाशे नहि. हवे श्रावको अने श्राविकाओने स्वार्थने लीधे व्यावहारिक विद्या भणवानो प्रेम थयो छे. जो ते खरेखर भणशे तो तेओनी स्थिति, व्यवहारमा उच्च रहेशे अने जो ते नहि भणे तो बीजी कोमोनी सेवाचाकरी करी पेट भरवानी क्षुद्र दशा प्राप्त करी शकशे. विशेषमांजणाववायूँ के, जो जैनो धार्मिक तत्त्वज्ञाननो साधुओनी पासे अभ्यास नहि करशे तो, साधुओने तथा साध्वीओने उकाळेला पाणी पण मळी शकशे नहि, कारण के तेओ गुरुओनी पासे अभ्यास नहि करे अने श्रावको वगेरे के जे फक्त जाणवानी क्रिया करनारा छे, तेओनी पासे वा अन्यदर्शनी पासे भणशे तो धर्मना आचार पाळशे नहि अने अन्ते भविष्यना साधुओने चारित्र पाळवामां अपवादो वेठवा पडशे. (तीर्थयात्रानुं विमान' पुस्तकमांथी साभार) For Private and Personal Use Only

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