Book Title: Shrutsagar 2014 12 Volume 01 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 17 श्रुतसागर दिसम्बर-२०१४ द्रव्यानुयोगनां गहन तत्त्वो प्राथमिक दशाना वाचको माटे समजवा मुश्केलअघरां छे, परंतु द्रव्यानुयोग कथानुयोग पर सवार थई वाचकनां हृदय सुधीनी यात्रा सरळताथी करी शके छे. ___ जैन कथानकोनी विराट सृष्टि आपणी अमूल्य संपदा छे. धर्म अने दर्शनने जगत सुधी पहोंचाडवा कथानुयोग सौथी वधु उपकारक बने छे. आगममां कथानुयोग अभिप्रेत छे. कादम्बरीनो भावानुवाद करनार कवि भालणनी उक्ति अमारा हृदयभावने वाचा आपे छे. "मुग्ध हृदय सांभळवा ईच्छी पण प्रीच्छी नव जाय तेहने प्रीच्छवा कारणे कीधुंभालणे भाषा बंध" मुग्ध रसिक श्रोता सांभळवा अने समजवा ईच्छे छे. परंतु समजी शकता नथी एने सरळ रीते समजाववा भालणजे रीते आस्वाद-भावानुवादनो पुरुषार्थ करे छे तेम आपणे पण कथानको द्वारा आस्वादनो पुरुषार्थ करवो जोईए. विश्वना कथासाहित्यमां जासूसी कथाओ, जुगुत्साप्रेरक कथाओ, बीभत्सकथाओ, हिंसात्मक वीरकथाओ पुष्कळ छे. परंतु धर्म के दर्शन साहित्यमां आवी कथाओने स्थान नथी. ___अहीं नीति-सदाचार, प्रेरक-कथाओ, चारित्य-कथाओ, तप-त्यागनी कथाओ ज धर्मकथाओ छे जे मानवजीवनने ऊर्ध्वगामी करी शके छे. वळी ज्ञानीओए चार विकथानो त्याग करवा जणाव्यु छे जेमां पाप हेतुभूत स्त्री-पुरुषनी कथा छे. ए ज रीते राजकथा अने देशकथा करवाथी निंदा द्वारा आत्मा अनर्थदंडथी दंडाय अने कर्मबंध करे छे, तो वळी क्यारेक आर्तध्यान के रौद्रध्यानमा फसाई जाय छे. ज्यारे भोजनकथामां आसक्ति अभिप्रेत छे. ___आवी विकथानो आराधक आत्माओए त्याग करी मात्र धर्मकथानो ज आश्रय लेवो जोईए. आसक्ति अने संज्ञाओने पातळी पाडवा आ कथानको पायाचें काम करे शास्त्रकार परमर्षिओ, जैन दार्शनिको, मुनिओ के जैन सर्जक साहित्यकारो एम दृढपणे माने छे के साहित्य अने कलाना सर्जननो उद्देश शुभतत्त्वोनां दर्शननो होय तो ज सार्थक. कथा, काव्य, साहित्य, संगीत, अने ललितकळाओथी जीवन सभर बने छे. For Private and Personal Use Only

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