Book Title: Shrutsagar 2014 12 Volume 01 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूरि - सिंहासनारोहण महोत्सव सम्पन्न डॉ. हेमन्त कुमार श्री नाकोड़ा तीर्थ की पावन भूमि पर परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब की पावन निश्रा में इस महा महोत्सव का प्रारम्भ विक्रम संवत् मार्गशीर्ष शुक्ल ८, शनिवार, दिनांक २९/११/२०१४ को हुआ जो विक्रम संवत् मार्गशीर्ष शुक्ल १०, सोमवार, दिनांक ०१/१२/२०१४ के पावन दिन समाप्त हुआ. पूज्य राष्ट्रसन्त के वरद हस्त से एक साथ पाँच पूज्यों को आचार्यपद पर सुशोभित किया गया. मुनिपद से सूरिपद पद पर जिन्हें बिराजमान किया गया वे मुनि भगवन्त पंन्यासप्रवर श्री देवेन्द्रसागरजी म. सा., पंन्यासप्रवर श्री हेमचन्द्रसागरजी म. सा., पंन्यासप्रवर श्री विवेकसागरजी म. सा., पंन्यासप्रवर श्री अजयसागरजी म. सा. एवं मुनिप्रवर श्री विमलसागरजी म. सा. थे.. दिनांक १/१२/२०१४ को भव्य समारोह पूर्वक विराट जनसमूह के बीच भारतभर से पधारे अनेक गणमान्य लोगों की उपस्थिति में आचार्यपदवी प्रदान का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ जिसमें परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब ने पाँचों पूज्यों को आचार्य पद से विभूषित किया. परम पूज्य राष्ट्रसन्त ने पाँचों पूज्य भगवन्तों का नामकरण किया जो क्रमशः आचार्य श्री देवेन्द्रसागरसूरिजी, आचार्य श्री हेमचंद्रसागरसूरिजी, आचार्य श्री विवेकसागरसूरिजी, आचार्य श्री अजयसागरसूरिजी एवं आचार्य श्री विमलसागरसूरिजी महाराज के नाम से घोषित हुए. इस महा महोत्सव के शुभ अवसर पर श्री नाकोड़ाजी तीर्थ रंग-बिरंगे प्रकाशपुंजों से जगमगा उठा था. जगह-जगह तोरण द्वार बनाए गए थे. अतिथियोंयात्रियों के आवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था की गई थी. अनेक गुरुभक्तों ने इस पावन अवसर पर अपना सहयोग प्रदान कर पुण्य लाभ लिया. देश-विदेश के हजारों गुरुभक्त इस कार्यक्रम में उपस्थित थे. सभी कार्यक्रम श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट, मेवानगर, जिला बाड़मेर, राजस्थान के तत्त्वावधान में पूर्ण धार्मिक वातावरण में सम्पन्न हुए. समरादित्य महाकथा संपूर्ण अब हिन्दी में उपलब्ध पूज्य आचार्य श्री भद्रगुप्तसूरिजी (प्रियदर्शन) द्वारा गुजराती भाषा में लिखित एवं विश्वकल्याण प्रकाशन, महेसाणा द्वारा प्रकाशित समरादित्य महाकथा संपूर्ण अब हिन्दी भाषा में उपलब्ध हो गया है. पूर्व में इस महाकथा के ६ भव हिन्दी में प्रकाशित For Private and Personal Use Only

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