Book Title: Shrutsagar 2014 12 Volume 01 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 20 DECEMBER-2014 जेमां उपर बतावेला ग्रंथोमां आवनारा जुदा जुदा प्रसंगो संबंधना संवतोनी नोंध होय. आवी वर्षावली आपणने अनेक रीते मळी शके. केटलाक ऐतिहासिक काव्यग्रंथोमां साहजिक रीते ज जुदा-जुदा राजकीय प्रसंगोना संवतो आपेला होय छे. बीजा ग्रंथकारो करतां जैन ग्रंथकारोनी आ एक विशेषता होय छे के तेओ घj करीने पोताना ग्रंथना छेवटे-भले ते ग्रंथ ऐतिहासिक स्वरूपनो होय अथवा धार्मिक स्वरूपनो होय-ग्रंथ समाप्तिनो काळ पोतानी टुंकी माहिती साथे आपे छे. ___ केटलाक ग्रंथकारो पोताना ग्रंथना प्रारंभमां अथवा अंतमां, जेने आपणे 'प्रशस्ति' कहीए छीए ते लखे छे अने तेमां ऐतिहासिक माहिती संवत साथे आपेली होय छे. तेमज एकाद ग्रंथनी कालांतरे ज्यारे प्रतिकृति करवामां आवती हती त्यारे ते लेखक प्रतिकृति कर्यानुं वरस आपे छे, एटलं ज नहि पण ग्रंथरचना अने ते ग्रंथनी नकलना काळ दरमियान जे जे जाणवा जेवी वातो थइ होय ते पण कोइ वखते संवत साथे आपेली होय छे. बीजा प्रकार- साहित्य ‘पट्टावलीओ' छे जेमां अमुक गच्छना साधुओनी शिष्यपरंपरा आपेली होय छे अने तेमां घणी वखत अमुक प्रसंगोमां संवतो आपेला होय छे. मारा कहेवानुं स्पष्टीकरण करवा माटे 'पुरातत्त्व' ना ज पाछला एक अंकमाथी दाखलो आपुंछु. ते त्रैमासिकना प्रथम अंकमां मुनि पुण्यविजयजीए एक ऐतिहासिक जैन प्रशास्ति' छपावी छे. तेमां केटला बघा उपयोगी संवतो आवेला छे! गुजरातना राजकीय इतिहासने अत्यंत उपयोगी पडी शके एवो करणवाघेला संबंधनो सं. १३६० तेमां आप्यो छे. ते राजा विशेनो मळेलो छेल्लो संवत् १३५४ नो इडरना शिलालेखमांथी मळ्यो छे. सं. १३५६मां अलाउद्दीने गुजरात उपर आक्रमण कर्यु. तथापि ते देश तेना ताबामां ते वखते पूर्णपणे आव्यो न हतो, अने कर्णराजा सं. १३६० सुधी पाटणमां राज्य करतो हतो आ कथनने उपरना संवतथी पुष्टि मळे छे. ते ज प्रमाणे गुजरातनी प्राचीनकालीन आर्थिक स्थितिनुं एक नानुं चित्र दुष्काळना १३७७ अने १४६८ आ बे संवतो उपरथी उभं थाय छे. ते सिवाय अमुक आचार्य अमुक वखते हता वगेरे धार्मिक माहिती पण आपणने संवत साथे मळी आवे छे. हस्तलिखित ग्रंथोमाथी मळेला आवा संवतोनो कोइ वखत अमुक राजानो राज्यकाल ठराववामां पण उपयोग थाय छे ए उपर बताव्युज छे. १. आ प्रशस्ति आ ज वर्षना श्रुतसागर अं. नं. ०१मा प्रकाशित थयेल छे. For Private and Personal Use Only

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