Book Title: Shrutsagar 2014 12 Volume 01 07
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 14 SHRUTSAGAR DECEMBER-2014 संयम योगे रति सदा मुनिवर सोभागी, नही मनमां कुध्यान गुणवंताने गुणना रागी। निरवद्य वचन वदे सदा मुनिवर सोभागी, तनुं जतनाइं जाणरे गुणवंताने गुणना रागी॥३॥ सितादिक परिस(ष)ह सहें मुनिवर सोभागी, अंस(श) नवि करता मात(न) रे गुणवंताने गुणना रागी। मरण कष्ट आवी पडे मुनिवर सोभागी, बीक नहीं ती(ति)लमात(त्र) रे गुणवंताने गुणना रागी ॥४॥ वीर वि(वी)भुनो पाटवी मुनिवर सोभागी, सुधर्मा श्रुतभाण रे गुणवंताने गुणना रागी। तस अंतेवासी भलो मुनिवर सोभागी, जंबु जुगपरधान रे गुणवंताने गुणना रागी॥५॥ सील सुगंधी चूनडी मुनिवर सोभागी, ओढी अधिकें रंगरे गुणवंताने गुणना रागी। रत्नत्रयी रुचि दीपतो मुनिवर सोभागी, पहरी घाट सुचंग रे गुणवंताने गुणना रागी॥६॥ धर्मे वासित श्राविका मुनिवर सोभागी, गुहली ग(गु)णि बहुमान रे गुणवंताने गुणना रागी। अनुभव उज्जवल फूलडे मुनिवर सोभागी, वधा गुणवान रे गुणवंताने गुणना रागी॥७॥ नय-निक्षेपें अति भली मुनिवर सोभागी, सप्तभंगी वी(वि)ख्यात रे गुणवंताने गुणना रागी। अनंत गम पर्यायथी मुनिवर सोभागी, पद अक्षत संख्यात रे गुणवंताने गुणना रागी॥८॥ वाणी जिननी सांभळे मुनिवर सोभागी, अति भगते एक चित्त रे गुणवंताने गुणना रागी। जिनशासन उन्यत करें मुनिवर सोभागी, उत्तम लहीय नी(नि)मित्त रे गुणवंताने गुणना रागी ॥९॥ For Private and Personal Use Only

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