Book Title: Shrutsagar 2014 08 Volume 01 03
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 11 SHRUTSAGAR AUGUST-2014 गोचरी में प्राप्त गोबर की घटना हेतु सोनार की क्षमायाचना करने पर अपने तपोबल से उसके समक्ष गोबर की जगह खीर बताना. हिन्दु-मुस्लिम की एकता व २४ पीरों को प्रतिबोधित करना. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एक बार अकालग्रस्त व दूसरी बार मेघाच्छादित जोधपुर को उस संकट से मुक्त करना. एक जनश्रुति अनुसार स्वर्गलोग से आकर शत्रुसंकटग्रस्त जोधाणा नरेश को दर्शन देकर चिन्तामुक्त करना. आपके कीर्त्तिमय कल्याणकारी जीवन से प्रभावित होकर आपके अनुयायियों तथा भक्तों की संख्या भी कम नहीं है. आज आपकी परंपरा को माननेवाले पार्श्वचंद्रगच्छ व पायचंदगच्छ के नाम से जाने जाते हैं. परंपरावर्ती अनुयायियों द्वारा आपकी अष्टप्रकारी पूजा, भास, गुरुगीत आदि ढेर सारी गुरुभक्तिपरक रचनाएँ आज भी प्राप्त होती हैं. प्रत परिचय - आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा - गांधीनगर में स्थित हस्तप्रत भंडार में प्रत क्रमांक - ०९४६८ के आधार पर इस कृति का सम्पादन किया है. इस प्रतमें दो कृतियाँ आलेखित हैं. प्रथम कृति प्रस्तुत कृतिकार के पट्टशिष्य समरसिंघ (समरचंद्र) द्वारा रचित ब्रह्मचर्यबावनी पत्र - १ से ४ पर है तथा पत्र-४ से ६ पर स्थित प्रस्तुत द्वितीय कृति है. इसका लेखनकालादि विवरण वि.सं. १६९२ आश्विन शुक्ल प्रतिपदा बुधवार है. इसे मुनि मल्लिदास के शिष्य मुनि मनोहर ने श्राविका चंदाबाई के पठनार्थ मालपुर में लिखा है. अक्षर सुवाच्य एवं सुन्दर हैं तथा प्रायः पाठ शुद्ध है. प्रत की भौतिक स्थिति भी उत्तम है. इस प्रत की लं. २७ से.मी. व चौ. ११.५ से.मी. है. पत्रों में पंक्तियाँ १० से १२ हैं तथा एक पंक्ति में अक्षर ४० से ५० के मध्य हैं. इस प्रत के अतिरिक्त ४ अन्य प्रतें भी हमारे ज्ञानमंदिर में उपलब्ध हैं. जिसमें ३ प्रत अपूर्ण हैं. ४थी प्रत नं. ४३६९९ संपूर्ण है इसे पाठान्तर आदि के लिये उपयोग किया है. नोट - हस्तप्रत के मूलपाठ को यथावत् रखा गया है, संदर्भ प्रत के अनुसार सुसंगत पाठ व शुद्धता हेतु आंशिक फेरबदल किया गया है. कोई क्षति या शुद्धिस्थल का अवसर दृष्टिगोचर हो, तो विद्वद्वर्ग क्षमाभावी होकर उदार हृदय से दृष्टिपथ पर लाने की कृपा करें. धन्यवाद ! For Private and Personal Use Only

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