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पुस्तक समीक्षा
डॉ. हेमन्त कुमार * पुस्तक नाम : आगमसद्दकोसो (आगम शब्दकोश) * संकलन कर्ता : मुनिश्री दीपरत्नसागरजी म. सा. *प्रकाशक
आगम श्रुत प्रकाशन, खानपुर-अहमदाबाद * प्रकाशन वर्ष : ईस्वी सन् २००१ * कुल भाग : ४ * मूल्य : २४००/- (संपूर्ण सेट की कीमत) भाषा : प्राकृत, संस्कृत एवं गुजराती
परम पूज्य मुनिश्री दीपरत्नसागरजी म.सा. द्वारा संकलित आगम शब्दकोश में ४५ आगमों के धातु-कृदन्तादि रूप, देशी शब्द, संख्यावाची शब्द, प्रचलित सर्वनाम, अव्यय, पर्यायवाची शब्द तथा विशेषनामवाले शब्दों के अर्थ दिए गए हैं. जैनशास्त्र व आगम के मर्मज्ञ विद्वान मुनिश्रीजी ने प्रस्तुत कोश में मात्र मूल आगमों के शब्द ही लिए हैं, जिनकी कुल संख्या ४६,००० हैं. आगमों की नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, वृत्ति
आदि के शब्द नहीं लिए हैं. मुनिश्रीजी ने इस विशाल शब्दकोश को चार भागों में विभाजित करके अध्ययन-अध्यापन, संकलन, संरक्षण आदि की दृष्टि से उपयोगी बना दिया है. आकर्षक आवरण पृष्ठ, सुन्दर छपाई एवं अक्षरों की स्पष्टता के कारण यह प्रकाशन अपनी उपयोगिता को सिद्ध कर रहा है.
यों तो पूर्व में भी आगमों के शब्दकोश प्रकाशित हो चुके हैं, किन्तु उनमें संकलित शब्दों को कई प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित आगमिक पाठ को आधार बनाया गया है, पाठभेद के कारण पाठकों/संशोधकों को पाठ मिलान करने में कठिनाई होती थी. उसी कठिनाई को ध्यान में रखते हुए पूज्य मुनिश्रीजी ने पहले संपूर्ण आगमों के सर्वाधिक मान्य पाठ को सूत्र क्रमांक के साथ पैंतालीस भागों में प्रकाशित किया, फिर उसके आधार पर शब्दों का संकलन कर शब्दकोश का निर्माण किया है. इससे पाठकों/संशोधकों को किसी भी शब्द का संदर्भ देखने में बहुत ही सुविधा होगी. इस कोश के शब्दों का आधारग्रंथ मुनिश्रीजी द्वारा संपादित व आगम श्रुत प्रकाशन, अहमदाबाद द्वारा प्रकाशित आगम सुत्ताणि मूल के पाठ हैं, इसलिए पाठकों/ संशोधकों को पाठ मिलान के लिए इस प्रकाशन का ही उपयोग करना उचित होगा, क्योंकि आगम शब्दकोश में प्रयुक्त सूत्र क्रमांक इसी प्रकाशन के पाठ के आधार पर दिए गए हैं. पूज्यश्री ने सूत्र क्रमांक देकर पाठकों/संशोधकों का समय बहुत बचाया हैं, क्योंकि अब उन्हें श्रुतस्कंध, अध्याय आदि को ढूँढना नहीं पड़ेगा, सीधा उसी सूत्र क्रमांक पर जाने से अपेक्षित शब्द मिल जाएगा.
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