Book Title: Shrungarmanjari Author(s): Kanubhai V Sheth Publisher: L D Indology AhmedabadPage 12
________________ प्रस्तावना १. प्रत परिचय अने संपादन पद्धति प्रास्ताविक कवि जयवंतसूरि सत्तरमी सदीना अंक गणनापात्र कवि छे. अमणे रचेली नानी-मोटी बारेक कृतिओ हाल उपलब्ध थाय छे. अमांनी 'स्थूलिभद्रकाशा प्रेमविलास फाग'१', 'नेमिनाथ राजीमती बारमास२, 'नेमिजीन स्तवन' 3 अने 'ऋषिदत्तारास४' नामनी चार कृतिओ प्रगट थओली छे. पण ते सिवायनी सर्व कृतिओ हजी अप्रगट छे 'शूगारमंजरी' अथवा 'शीलवतीचरित्ररास' से आ कविनी सर्वोत्तम कृति छे, अटलं ज नहीं पण जैन गूर्जर साहित्यना सर्वोत्तम काव्यामां पण अनु स्थान छे. मध्यकाकीन गुजराती भाषा, साहित्य, सपाज अने संस्कृति अंगे मूल्यवान सामग्री अमाथी प्राप्त थाय छे, ते दृष्टिले पण ते नेांधपात्र छे. प्रत परिचय जयवंतसूरि कृत 'शूगारमंजरी' नामनी कृतिनी कुल्ले पांच हस्तप्रता प्राप्त थई छे. 'जैन गूर्जर कविओ'५मां नेांधायेली हस्तप्रतानो तथा अमां न नोंघायेली अवी अन्य भंडारमाथी प्राप्त थती हस्तप्रतानो आ संपादनमा उपयोग कर्यो छे. 'जैन गूर्जर कविओ'मां नीचे मुजब पांच हस्तातो अंगे नेांध छे. (१) डहेलाना आसराना ग्रंथभंडार, अमदावादनी प्रत. (२) वाडी पार्श्वनाथने। भडार, पाटणनी प्रत. (३) खेडा भंडार, खेडानी प्रत. (४) वीरविजय उपाश्रय ग्रंथभडार, अमदावादनी प्रत (५) तपगच्छ जैन शाळा ग्रंथभंडार, ख भातनी प्रत. १. प्राचीन फागु संग्रह, संपा. डॉ. भोगीलाल ज. सांडेसरा अने सेोमाभाई पारेख, वडोदरा, १९५५, पृ. १२६-३३. २. प्राचीन-मध्यकालीन बारमासा-संग्रह, संपा. डॉ. शिवलाल जेसलपुरा, अमदावाद, १९७४, खंड १, पृ. ४०-६२. ३. शमामृतम्-नेमि जीन स्तवन, स शा. धर्मविजयजी, भावनगर, १९२३, पृ. ११-१४. ४. जयवतसूरि रचित ऋषिदत्ता रास, संपा. निपुणा अ. दलाल, ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामदिर, अमदावाद, १९७५. ५. जैन गुर्जर कविओ, संवा, मोहनलाल द. देसाई, १९४४, भाग ३, खंड १, पृ. ६९९. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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