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(६)
होवा छतां तेने ग्रंथपांठमां कायम राखी छे. संदर्भ, जोडणी के भाषानी प्राचीनता, 'अर्थ' ना औचित्यनी दृष्टि संपादित ग्रंथपाठ स्पष्ट रीते योग्य लाग्यो नथी, त्यां तेने बदले अन्य प्रतेने योग्य अने उत्कृष्ट लाग्यो हाय सेवा पाठ स्वीकार्यो छे अने मुख्य प्रत्ना पाठनी नांध लीधी छे. सामान्यतः अक नियम तरीके प्रमाण, क्रम, भाषा अने जोडणी अम प्रत्येक बाबतमां मुख्य प्रतने ज आधार तरीके लीधी छे.
कमां प्रस्तुत कृतिनु संपादन सामन्यतः नीचेना मुद्दाओ लक्षमां राखी कर्तुं छे.
(१) अहीं प्रत 'क'ने मुख्य प्रत गणी छे, अने सामान्यतः तेना ज पाठने। स्वीकार क छे. अन्य प्रतोना महत्त्वना पाठान्तरो नांध्या नथी.
(२) पर्यायात्मक के पादपूरक अंगेना पाठान्तरो नांध्या छे.
(३) पाठ वधते। के ओछा होय ते दरेक स्थळनी नांध करी छे.
(४) भाषा, अर्थ' के अन्य कोई दृष्टिले महत्त्वनां जणातां पाठान्तरोनी खास नांध लीधी छे. (1) कोई प्रतमां न होय तेवा अकेय कल्पित पाउने ग्रंथपाठन लेवामां आव्या नथी.
(६) आ संपादनमां जोडणी मुख्य प्रतने अनुसरीने ज आपवामां आवी छे. ओ जोडणीमां विसंगतता होय तो पण मूळ जोडणीने वफादार रहीने तेमां फेरफार कर्यो नथी. पण
(अ) जयारे स्वीकारेल धोरणथी भिन्न सेवा पाठ मुख्य प्रतमां होय, पण अन्य प्रतमां आ स्वीकारेल धोरणनो पाठ होय तो तेवी जग्याओ आ बीजी प्रतना पाठने स्थान आयु छे.
( आ ) मुख्य प्रत करता अर्वाचीन समयनो पाठ जो ते अन्य कारणे उत्कृष्ट लाग्यो होय तो स्वीकार्य छे, अने तेनी जोडणी पण यथातथ जाळवी छे.
(इ) तत्सम शब्दोमां पण पाठने शुद्ध करवामां आव्यो नथी के अन्य प्रतमां शुद्ध पाठ मळी आव्यो होय ते छतां तेने आ ग्रंथपाठमां स्वीकारवामां आव्यो नथी.
२. कवि जयवंतसूरि : जीवन अने कवन
प्रास्ताविक
प्राचीन - मध्यकालीन गुजराती कृतिओना कर्ताना जीवन अंगेनी माहिती सामान्यतः ओमनी पोतानी कृतिओनांथी के अमना शिष्य समुदायनी कृतिओमांथी के कवचित समकालीन - अनुगामी कविओनी कृतिओमांथी सांपडे छे. जे अल्प प्रमाणमां ज द्देोय छे. अहीं जेनी अधिकृत वाचना रजू करवामां आवी छे ते " शृंगारमंजरी" अथवा 'शीलवती चरित्रराम ना कर्ता 'जयवंतसूरि'ना जीवन विषेनी अमनी कृतिमांथी के अन्य स्थळेथी शप्त थती माहिती पण प्रमाणमां बहु अल्प छे.
कवि जयवंतसूरिना जीवन सबंधेना उल्लेखनो आधार बहुधा अमना ग्रथोमांथी मळी आवतां आंतर प्रमाणो ज छे, अने काई किंवदंतीओ नथी. आथी अमना केटलाक काव्यांना अंत भागमां जे कांई थोडी घणी हकीकत मळे छे. ते परथी जयवंतसूरिना चरित्रनी रजूआत करवामां आवी छे.
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