Book Title: Shrungarmanjari
Author(s): Kanubhai V Sheth
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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(३)
प्रत 'क'
प्रस्तुत हस्तग्रत पू. श्री नीतिविजयजी जैन ज्ञानभंडार, जैनशाळा, खंभातमाथी प्राप्त थई छे. नो क्रमांक १८२१ छे. अमां कुले १५० पानां छे. पत्रनु सामान्य माप १०"x४.४''नु छे. दरेक पत्रमा पाछली बाजुओ जमणा खूणामां स्पष्ट रीते पृष्ठ संख्या लखवामां आवी छे. दरेक पृष्ठनी डाबी अने जमणी बाजुओ १"ने। हांसियो अंकित करवामां आव्यो छे. पानानी उपर अने नीचेनी बाजुओ ०.६" जग्या खुल्ली मूकवामां आवी छे. बाजुना बन्ने हांसियामां लाल टपकुं आवेलु छे.
आखीय प्रत ओक हाथे देवनागरी लिपिमा लखायेली छे. अक्षरो कंइक मोटा अने सुवाच्य छे. अक्षरो सामान्यतः काळी शाहीमां लखायेल छे. ढाल के रागना प्रारंभने लालरंगथी दर्शाववामां आव्या छे. पदच्छेद माटे शब्दनी उपर नानी काळी शाहीनी लीटी छे. प्रत संवत १६८५मा वर्षे पोष सुदी बीजने बुधवारे हबदपुरमा प्रेमसागरे लखी छे. आ प्रतने प्रस्तुत संपादनमा मुख्य गणी छे. आरंभ : श्री सरस्वतत्यै नमः । अंत : इतिश्री शीलवतीचरित्र गर्मिता शृंगारमंजरी नाम्ना सुभाषितावली सभाप्ता, संवत १६८५
वर्षे पो. सुदि २ बुधे लखितं, हबदपुरे मध्ये प्रेमसागर लिपि कृताः, श्रीरस्तुः, श्रुभं भवतु, कल्याणमस्तु, श्री, छ, ठ, छ, श्री कडुआमती गछे श्राविका बाई मटु पठनार्थ
श्रृंभम भवतु छ. लेखननी विशिष्टताओ :
१. "य'ने स्थाने "इ"कारवाळा रूपो
काइलि, हाइ, थाइ, काइ, २. सानुनासिक रूपा-करंति, मरंति, हसंति, हरंति, ३. सम्म, जिम्म, पिम्म, किन्म, किध्ध ४. नारीअ, निवारीअ, पाणीअ, अणसरीअ, पहिलीअ
५. "ख" बदले सर्वत्र "ब''-खेद (षेद), खलति (पलति) प्रत 'ख'
आ प्रत पाटणना वाडी पार्श्वनाथ भंडारमाथी मळी आवी छे. ते आ भंडारमा दाबडा १८७ न. ७३२२ तरीके नेांधायेल छे. कुल पानां ५८ छे. पत्रनु माप ९.४"x४.४" छे. दरेक पत्रमा सामान्यतः १७ पंक्ति छे. पत्रनी पाछली बाजुओ जमणी तरफ हांसियामां पृष्ठांक लखवामा आध्यो छे. पत्नी डाबी अने जमणी बाजुओ ८.५''नो हांसियो लाल रेखाथी अकित करवामां आव्यो छे. पत्रनी उपर अने नीचेनी बाजु पर ०.४' जग्या कारी मूकवामां आवी छे. पत्रनी जमणी बाजु परना मथाळे हांसियामां "शृंगारमंजरी" लखेलु मळे छे काव्यना आरंभ, ढाल के रागनां नाम लाल शाहीथी लखवामां आव्या छ बाकीनी आखी कृति काली शाहीमा छे.
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