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अथ विंशतितम श्री मुनिसुव्रतजिन व
स्तवनम्
॥ ओलंगडी ओलंगडी सुहेली हो श्री श्रेयांसनी रे - ए देशी ||
EASKआहंगडीओतंगडी तो कीजें
श्रीमुनिसुव्रत स्वामीनी रे, जेहथी निज पद सिद्धि। केवलज्ञानादिक गुण ऊल्लसेरे, लहिएं सहेज समृद्धि
ओलंगडी.॥१॥
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