Book Title: Shivsutra Varttikam
Author(s): Varadraja, Madhusudan Kaul
Publisher: Research Department Jammu & Kashmir Srinagar

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Page 4
________________ श्रीसोमानन्दनाथप्रभृतिगुरुवरादिष्टसन्नीतिमार्गो लब्ध्वा यत्रैव सम्यक्पटिमनि घटनामीश्वराद्वैतवादः। कश्मीरेभ्यः प्रसृत्य प्रकटपरिमलो रजयन्सर्वदेश्यान् देशेऽन्यसिन्नदृष्टो घुसृणविसरवत्सर्ववन्धत्वमाप ॥ १ ॥ तरत तरसा संसाराब्धि विधत्त परे पदे पदमविचलं नित्यालोकप्रमोदसुनिर्भरे । विमृशत शिवादिष्टाद्वैतावबोधसुधारसं . प्रसभविलसत्सद्युक्त्यान्तःसमुत्लवदायिनम् ॥२॥

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