Book Title: Shantinath Mahakavyam Part 01 Author(s): Vijaydarshansuri Publisher: Nemidarshan Gyanshala View full book textPage 5
________________ आ महाकाव्यनी मधुरतानो अने विशिष्टतानो आस्वाद सारा व्युत्पन्न होय एज लई शके एवं छे. अन्य अभ्यासीओ जो आ ग्रन्थनी टीका होय तो सारी रीते उपयोगमा ले, आज सुधी टीका विना अभ्यासमा लई शकाय एवो आ ग्रंथ प्रसार नथी पाम्यो ए हकीकत छे. आ ग्रन्थ पर टीका रचवान कार्य साधारण नथी ए आ ग्रन्थना अवलोकनथी समजी शकाशे. एवं असाधारण कार्य परमपूज्य आचार्य महाराजश्री विजयदर्शनसूरीश्वरजी महाराजश्रीए अति परिश्रमपूर्वक कर्यु छे. तेनुं मुद्रण करावीने प्रकाशनमा मुकवामां अमे अमारू अहोभाग्य समजीए छोए. पूज्यपाद आचार्य महाराजश्रीनी हयातीमां ज aa ग्रन्थने प्रकट करवानी अमारी अभिलापा हती पण कालने ए मंजूर न हतुं. ग्रन्थ- मुद्रण कार्य शरु थयु ने तेना दसेक फरमाओ छपाया-त्यां तो अकल कालनी कोई एवी छाया पडी के-पूज्य आचार्य महाराज श्री अचानक एकाएक स्वर्गवास पाम्यां, एमनां विरहना अत्यन्त दुःखमां पण अमने काइक संतोष एटलोज छ के तेओपूज्यश्री आ ग्रन्थनो प्रारंभनो भाग मुद्रित थतो जोई गया छे. आ ग्रन्थ अंगे--१ पूज्यपाद आचार्य महाराजश्री विजयोदयसूरीश्वरजी महाराज, 2. पूज्यपाद आचार्य महाराजश्री विजयनन्दनसूरीश्वरजी महाराज 3. पूज्यपाद आचार्य महाराजश्री विजयविज्ञानसूरीश्वरजी महाराज. 4. पूज्यपाद आचार्य महाराजश्री विजयपत्र सूरीश्वरजी मराराज 5. पूज्यपाद आचार्य महाराजश्री विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराज. 6. पूज्यपाद आचार्य महाराजश्री विजयलावण्यसूरीश्वरजी महाराज 7. पूज्यपाद आचार्य महाराज श्री विजय कस्तूरसूरीश्वरजी महाराज. 8. पूज्यपाद आचाय महाराज श्रीविजयजितेन्द्र सूरिजी महाराज. वगेरे आचार्य महाराजश्री तथा अन्य पदस्थ मुनिराजश्रीनो साक्षात् अने परंपराए अमने जे लाभ मलयो छे ते सर्वपूज्योना अमे उपकृत छोए. विशेषे करीने आ ग्रन्थना ( टीकाना ) लेखनादि कार्यमा पूज्यपाद आचार्य महाराज श्रीना मुख्य शिष्य पूज्य पन्नयास प्रवर श्री जयानन्द विजयजी गणिवर्य महाराजे सारो सहकार आप्यो छे-ते अंगे अमे तेोश्रीना समुपकृत छीए. आ ग्रन्थमा स्वर्गस्थ आचार्य महाराजश्रीनुं विस्तृत जीवन चरित्र आपवानी अमारी इच्छा हती पण ए कार्य विलंबसाध्य होवाथी अने ग्रन्थ मुद्रित थईने तैयार थई गयो होवाथी-आ ग्रन्थना द्वितीय-मागमां आपPage Navigation
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