Book Title: Shantinath Mahakavyam Part 01
Author(s): Vijaydarshansuri
Publisher: Nemidarshan Gyanshala
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________________ * औं अहं नमः * अमन्दानन्दसन्दोहप्रदा-ऽनन्तलब्धिनिधानाय श्रीगौतमस्वामिने नमः / न्यायव्याकरणसिद्धान्तादिपारावारनिमज्जनसमवाप्तानल्पतत्त्वरत्नप्रणीतानेकग्रन्थरत्नेभ्यः शासनसम्राट सूरिमण्डलमुकुटायमान-श्रीविजयनेमिरीश्वर-सद्गुरुभ्यो नमः / तत्पट्टपूर्वाचलविभाकर - न्यायवाचस्पति - शास्त्रविशारद - बिरुदविभूषित-तपागच्छाचार्यश्रीविजयदर्शनसरि-संदृब्ध "प्रबोधिनी" इत्याख्यटीकासमलंकृतं महासाहित्यवादिशिरोमणि श्रीपेरोजमहीमहेन्द्रसदसि प्राप्तप्रतिष्ठोदय-श्रीमुनिभद्रसरिविरचितं श्री शान्तिनाथमहाकाव्यम् ___टीकाकृत्कृतं मङ्गलाचरणम्जिताशेषाऽपाया विदितसकलार्था नृविबुधैनंता नित्यं भक्त्याऽखिलभविकजीवान् शिवपथे / नियन्तारश्शीघ्रं विमलतमबोधाऽमृतगिरा, हमन्दानन्दालिं ददतु निखिलाश्श्रीजिनवराः // 1 // त्यक्त्वा राज्यरमां विशुद्धविरतिं चादाय यस्तत्त्ववित्, कमां केवलचिद्धनान्तरधनां श्रीतीर्थकुन्मामगात् / . सोऽयं चक्रिषु पञ्चमो जिनपतिः शान्तिप्रभुः षोडशो, भव्यानां विदधातु शाश्वतरमां युक्तामनन्तर्गुणैः // 2 // काव्यानि पञ्च पठनीयतया श्रुतानि, यानि स्वदर्शनबहिस्स्थितिमाजि तानि / तस्मादिहात्महितकृत् कविवर्मबोध, जागर्ति - शान्तिचरित मुनिभद्रब्धम् // 3 // १-माम्-लक्ष्मीम् /

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