Book Title: Shantinath Charitra Hindi Author(s): Bhavchandrasuri Publisher: Kashinath Jain View full book textPage 5
________________ परम श्रद्धेय श्रीमान माननीय बाबू भैंरूंदानजी हाकिम कोठारी का . 46 % de cores ar है संक्षिप्त जीवन-परिचय Patarktersteresed किसी विद्वान्ने ठीकही कहा है, किः- . परिवर्तिनि संसारे, मृतः कोवा न जायते ? स जातो येन जातेन, याति जातिः समुन्नतिम् / / इस संसारमें, जिसके रंग नित्य पलटते रहते हैं, जिसमें मनुष्यका जीवन पानीके बुल बुलेकेही समान है। पैदा होना और मर जाना नित्यका खेलसा है। उसमें उसीका जन्म ग्रहण करना ठोक है, जिसके द्वारा अपनी जातिकी कुछ भलाई हो, अपने वंशका गौरव हो, अपने कुलका नाम ऊँचा हो, नहीं तो इस संसारमें रोजही हज़ारों लाखों पैदा होते और मरते रहते हैं। उनकी ओर कौन ध्यान देता है। और इन जातीके उपकार करने वालोंका नाम मर जानेपर भी इस संसारके परदेपर सदा विराजमान रहता है। उनके यश-रूपी शरीर को नतो बुढ़ापा आता है, न मृत्यु ग्रास करती है। वे अपनी कीर्ति के द्वारा अमर हो जाते हैं। ऐसे अमर कीर्ति सत्पुरुषोंका नाम सभी लोग बड़ी श्रद्धाके साथ लिया करते हैं। . P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak TrustPage Navigation
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