Book Title: Savivaran Gyanarnav Prakaranam Gyanbindu Prakaran Author(s): Yashovijay Gani Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha View full book textPage 5
________________ प्रभावक अबाधित ग्रंथो विश्वमां विद्यमान छे जेना आलम्बनथी पुण्यात्माओ आत्मकल्याणना मार्गे प्रवर्ती रह्या छे. हालमां यावदुपलब्ध सविवरण आ प्रकरण प्रकाशित कयुं छे. आ ज्ञानार्णवनो प्रथम तरंग जे पत्र २७ मे पूर्ण थयो छे ते तो श्री संघना प्रबळ पुण्योदये परिपूर्ण अखंड छे, बीजा तरंगना सविवरण १६ पद्यो सुधी पण अखंड छे. सत्तरमा पद्यना विवरणांशथी २४ मा पद्यना विवरणांश सुधी खंडित छे. सहृदय सुज्ञ वांचकोने अर्थानुसंधानमां क्षति न थाय ते खातर तेमना प्रणीत न्यायालोक ग्रंथ विगेरेथी ते भाग संयोजित करी यथामति संगत कर्यों छे, जे संयोजित पाठ ३५ मा पत्रना बीजा पृष्ठनी पंक्ति अग्यारथी ३७ मा पत्रना प्रथम पृष्ठनी बीजी पंक्ति सुधी [ ] आवा काटखुण कौंसथी चिन्हित करी आ पुस्तकमा छपायेल छे तेवीज रीते ज्यां ज्यां संयोजित पाठो जोडवामां आव्या छे त्यां त्यां सर्वत्र ते ज प्रमाणे काटखूण काँसम दाखल कर्या छे तेज बीजा तरंगना चालीसमा पद्यना चोथा चरणना 'यद्दृष्टं' ए पदथी प्रारंभी बीजो आखोय तरंग अने श्रीजा तरंगना चोथा पद्यना विवरणांश सुधीनो खंडित भाग विशेषावश्यक महाभाष्यनी गाथाओ तथा तेना विवरणानुसारे योजित कर्यो छे ते भाग ४७ मा पत्रना प्रथम पृष्टनी आठमी पंक्तिथी प्रारंभी ६० मा पत्रना प्रथम पृष्ठनी वारमी पंक्ति सुधी जोडवामां आव्यो छे. बळी त्रीजा तरंगना २० मा पद्यना विवरणांशथी २९ मी गाथाना विवरणांश सुधी खंडित छे से पण एकोतेरमा पत्रना प्रथम पृष्ठनी बारमी पंक्तिथी प्रारंभी ज्याशीमा पत्रना प्रथम पृष्ठनी आठमी पंक्ति सुधी जोडयो छे. ते पछी त्रीशमा पद्यना विवरणांशथी आगळनो सर्व ग्रंथ खंडितज छे ते स्थाने दिशामूचन मात्र पंचाशीमा पत्रना बीजा पृष्ठनी नवमी पंक्तिथी प्रारंभी सत्याशीमा पत्रना प्रथम पृष्ठ संपूर्ण सुधी अर्थसूचक पाठ जोड्यो छे, कुल ६० पृष्ठप्रमाण योजित पाठ छेPage Navigation
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