Book Title: Savivaran Gyanarnav Prakaranam Gyanbindu Prakaran
Author(s): Yashovijay Gani
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 14
________________ SBEEG I PES POमाण्यगाथा नुक्रमा॥ एतद्ग्रन्थ पुढे रेणुं व तणुंमि ३३७ ७२ २४ एगवीस खलु लक्खा,२७४ १९ गिण्हइ य काइएणं ३५९ ०६१६ स्थविशेषा बहुसृहुमभावुगाइ ३३८ ७२ २९ इति नयणविसयमाणं ॥३.४ २० गिव्हिज्ज काइएणं ३५६ ७६ वश्यक 118| फरिसाणतरमत्त ३३९ ७२ २६ | लक्खेहिं एकबोसाए ३४५ . २६ | वाया न जीवनोगो ३५. ०६ १८ जेणं जया मणूसा (टोका)१ ४३ नयणिदियस्स तम्हा ३४६ ७४ २७ भह सो तणुसरंभो ३५८ ७६ परम णू तसरेणू , २ ७३ जंजह सुत्ते भणियं १(टो.) ७५ किं पुण तणुसरंभेण ३५९ ७७ उस्सेहंगुलमेगं , ३ ७३ सुत्ताभिप्पाओऽयं ३४७ ७५ . तणुजोगो च्चिय मणवइ ३६० ७७ भायंगुलेण वत्थु , ४ ७३ बारसहिंतो सोत्तं ३४८ ७५ तुल्ले तणुनोगत्ते ३६१ ७७ २१ अप्पत्तकारि नयणं ३४० ७३ दवाणमंदपरिणा ३४९ ७१ कायकिरियाइरितं ३६२ ७७ २४ नणु भणियमुस्सयंगुल ३४१ ७३ संखेजइभागाओ ३५० अहवा तणुनोगाहिय ३६३ ७८ जं तेण पंचधणुसय ५४२ ७३ २७ | भासासमसेटोओ ३५१ ७६ . तह तणुवाबाराहिय ३६४ .८ . इंदियमाणे वि तयं ३४३ ७४ ५ | सेढी पएसपंतो ३५२ ०६ ९| जह गामाओ गामो ३६५ ८८ १. तणुमाण चिय तेणं ३४४ ७४ १२ भासासमसेठिओ १५१ ७६ केह एगंतरिय १६६ ७८ १५ सीयालीससहस्सा (टोका)१७४ १६ । भणुसेडिगमणामो ३५४ ७६ १२ | आह सुये चियनिसिरइ ३६७ ७९ BLOROSORRBA UAEGORESPEC ॥६॥

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