Book Title: Savivaran Gyanarnav Prakaranam Gyanbindu Prakaran
Author(s): Yashovijay Gani
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 12
________________ भाष्यगाथा स्थविशेषावश्यक PREPETROPORNER सामण्णतयण्णविसे २६७ १४ २४ । खिप्पेयराइमेओ २८० १७ १६ | थाणुपुरिसाइकुठु २९३ ६२ १५ अण्णे सामण्णग्गह २६८ ५५ १ स किमोग्गहोत्ति भण्णइ २८१ ५७ २७ एवं चिय सिमिणाइसु २९४ ६३ १३ तदवत्थमेव तं पुन्ब २६९ ५५ ५ | सामण्णमेत्तगहणं २८२ ५८ ११ उक्कमओऽइक्कमओ २९५ ६३ ११ | अत्थोग्गहो न समयं २७० १५ ११ | सो पुणरीहावाया २८३ १८ १२ ईहिज्जइ णागहियं २९६ ६३ १३ एगो वाऽवाओ च्चिय २७१ ५५ १२ | तत्तोणतरमोहा २८४ ५८ १३ एत्तो चिय ते सव्वे २९७ ६३ सामण्णं च विसेसो २७२ ५५ १३ | सव्वत्थेहावाया २८५ ५८ २३ | अब्भत्थेवाओ च्चिय २९८ ६३ १८ केइदिहालोयणपुव्व २७३ ५६ २ । तरतमजोगाभावे २८६ १९ उप्पलदलसयवेहे व्ब २९९ ६४ तं वंजणोगगहाओ २७४ ५६ ९ सहोत्ति य सुयभणियं २८७ ५९ सोइंदियाइभेएण ३०० ६४ अत्थोग्गहो विजवं २७६ ५६ १५ खिप्पेयराइभेओ २८८ ५९ ८ अठ्ठावीसइभेयं एयं ३०१ ६४ तं च समालोयणम २७६ ५६ २१ | इय सामण्णग्गहणा २८९ ५९ २० केइत्तु वंजणोग्गह ३०१ ६४ २० आलोयत्ति नामं २७७ ५६ २६ महुराइगुणत्तणओ २९० ६. १ | अस्सुयणिस्सियभेयं ३०२ ६४ २० गहियं व होउ तहियं २७८ ६७ ३ वयणतरं तयत्था २९१ ६. ६ | चउवइरित्ताभावा ३०३ ६४ २२ अत्थानमाइसमये २७९ ५७ ७ | सेसेसु वि इवाइसु २९२ ६२ ११ | किह पडिकुकुडहीणो ३०४ ६४ २४

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